कैंट बोर्ड: अवैध निर्माण ही नहीं कब्जे भी

कब्जे व अवैध निर्माण पर चुप्पी क्यों
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कैंट बोर्ड: अवैध निर्माण ही नहीं कब्जे भी, मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन अभी तक तो केवल अवैध निर्माण कराने को ही बदनाम था,  लेकिन कैंट बोर्ड के अफसर अब सरकारी जमीन पर जेब गरम कर अवैध कब्जे भी कराने लगे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिस अवैध निर्माण का यहां जिक्र किया जा रहा है। उस अवैध निर्माण व  कब्जों की सेनेट्री स्टाफ ने रिपोर्ट की, लेकिन कार्रवाई के बजाए रिपोर्ट डंप कर दी गयी। अवैध निर्माण व कब्जे का यह मामला लालकुर्ती हंड़िया मौहल्ला का है। जहां रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में सेटिंग गेटिंग से छह दुकानें बना दी गयी हैं। तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर अवैध रूप से हंड़िया मोहल्ला में बनायी गयी इन दुकानाें पर कार्रवाई किया जाना तो दूर, आरोप है कि जो दुकानें बनायी गयी हैं, उनके निर्माण के लिए एक बड़ा हिस्सा सरकारी जगह का भी कब्जा किया गया है। अवैध निर्माण के खिलाफ मेरठ कैंट बोर्ड के जिन अफसरों को बगैर देरी नोटिस व पीपीई एक्ट के तहत कार्रवाई करनी चाहिए,  उल्टा वो अफसर सरकारी जगह पर किए गए कब्जे पर भी चुप्पी साधे हुए हैं। हैरानी तो इस बात की है कि अवैध निर्माण व कब्जे की सेनेट्री सेक्शन के एरिया स्टाफ ने बाकायदा बोर्ड प्रशासन को रिपोर्ट की है। ये दुकानें नगर निगम के एक पार्षद की बतायी जाती हैं। बोर्ड के स्टाफ में दुकानों के अवैध निर्माण को लेकर अधिकारियों की चुप्पी पर खासी चर्चा है। स्टाफ की सुगबुगाहट की मानें तो नगर निगम के जिस पार्षद की ये दुकानें बतायी जा रही हैं, उन्होंने कैंट बोर्ड में भाजपा के एक बड़े नेता की मार्फत कैंट प्रशासन के अधिकारियों से सेटिंग गेटिंग कराई है। इस मामले में संगठन के कुछ पदाधिकारी भी हिस्सेदार बताए जा रहे हैं।  यह तो सर्वविदित है कि छावनी क्षेत्र में कैंट बोर्ड के अफसरों की मर्जी के बगैर अवैध निर्माण के नाम पर कोई एक ईंट भी नहीं चिनवा सकता। दुकान का रेट 15 लाख रखा गया है।

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