सीईओ कैंट के बैक डेट में फर्जी साइन

जीओसी पर भारी बोर्ड की कारगुजारी
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सीईओ कैंट के बैक डेट में फर्जी साइन, कैंट बोर्ड मेरठ के सीईओ के अवैध निर्माणों की फाइलाें पर बैक डेट में साइन करने से इंकार करने पर उनके फर्जी साइन आरोपियों ने बैक डेट में कर दिए। सीईओ के फर्जी साइन बनाकर नोटिस जारी कर दिए। आरटीआई एक्टिविस्ट संदीप पहल एडवोकेट ने बताया कि  कैंट बोर्ड अधिनियम 2006 के तहत धारा-247-248 के अवैध निर्माण संबंधित नोटिस केवल सीईओ के साइन से ही जारी किए जा सकते हैं। इस मामले में कैंट बोर्ड के एई,जेई व भवन निर्माण विभाग के एक लिपिक का नाम सामने आ  रहा है। ऐसे मामलों की सुनवाई प्रधान निदेशक व जीओसी इन चीफ मध्य कमान ही करने के लिए सक्ष्म हैं। यह पूरा मामला साल 2016-17 से जुड़ा है, जिसमें अवैध निर्माणों की 42 फाइलों पर बैंक डेट में पूर्व सीईओ राजीव श्रीवास्तव के साइन कर दिए । कैंट बोर्ड के स्टाफ की सुगबुगाहट पर यदि यकीन किया जाए तो तत्कालीन सीईओ राजीव श्रीवास्तव के समक्ष 42 फाइलें धारा-247-248 के नोटिस जारी किए जाने को पेश की गईं, लेकिन तत्कालीन सीईओ ने मामले को संदिग्ध मानते हुए बैक डेट में साइन करने से साफ इंकार कर दिया। इस बीच राजीव श्रीवास्तव का तवादला हो गया और  प्रसाद चव्हाण बतौर सीईओ मेरठ आ गए। बस यही से इंजीनियरिंग सेक्शन के आरोपी अधिकारियों ने खेल शुरू कर दिया। बैक डेट में सीईओ के साइन कर दिए गए। एक दो जगह नहीं बल्कि करीब पांच सौ जगह ज्यादा नोटिसों पर बैक डेट में तत्कालीन सीईओ राजीव श्रीवास्तव के साइन कर दिए। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि आरोपी बताए जा रहे स्टाफ की यह कारगुजारी पकड़ भी ली गयी। ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जहां करीब ढाई सौ स्थानों पर तत्कालीन सीईओ के फर्जी साइन पकड़े गए, जबकि कुल ऐसे करीब पांच सौ साइन बैक डेट में किए गए बताए जाते हैं। सबूत के तौर पर  बंगला 17 माल रोड है, जिसको फर्जी साइन वाला नोटिस जारी किया गया। फर्जी साइन कांड में बोर्ड के एई, जेई व भवन निर्माण विभाग लिपिक की चर्चा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पर एफआईआर होगी। क्योंकि यह संज्ञेय अपराध है।

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