कमांडर के आदेशों पर भारी भूमाफिया से यारी

कमांडर के आदेशों पर भारी भूमाफिया से यारी
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कमांडर के आदेशों पर भारी भूमाफिया से यारी, कैंट बोर्ड के कुछ अफसरों की भू-माफिया से यारी कैंट बोर्ड अध्यक्ष/कमांडर राजीव कुमार के आदेशों भारी पड़ रही है। मेरठ कैंट  बीसी लाइन स्थित बंगला 152 में कमांडर के सख्ती से रोक के आदेशों पर यहां अवैध निर्माण कराने वाले भारी पड़े हैं। ओल्ड ग्रांट वाले डीईओ के इस बंगले में कैंट बोर्ड अध्यक्ष ने दो बार स्वयं अवैध निर्माण को ध्वस्त कराया। लेकिन  कैंट बाेर्ड मेरठ के कुछ अफसरों से कथित रूप से नजदीकि के चलते यहां अवैध निर्माण करा रहा भूमाफिया लगता है कमांडर के आदेशों पर भारी पड़ रहा है। पहले इस बंगले की बात कर ली जाए, जीएलआर में यह बंगला किसी तारावती नाम की महिला के नाम दर्ज है। लेकिन जानकारों की माने तो इसमें रहने वाले किसी अमोल गंभीर नाम के शख्स ने भारत सरकार की इस संपत्ति को जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रहे दयानंद गुप्ता के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे मनोज गुप्ता नाम के व्यक्ति को पांच करोड़ में बेच डाला।

कैट अफसर बेखर या बात कुछ और

मेरठ कैंट के बीसी लाइन स्थित बंगला 152 वहां रहने वाले किसी शख्स के पांच करोड़ में बेचे जाने की बात सुनने में आ रही है। भारत सरकार की यह संपत्ति इस प्रकार से खुर्दबुर्द कर दी गयी,  खबर यह नहीं है, बल्कि खबर तो यह है कि इस बंगले के बिकने पर या उसको बिकने से रोकने के लिए कैंट प्रशासन के स्तर पर क्या किया गया। कुछ नहीं किया गया, ऐसा स्पष्ट जान पड़ता है, क्योंकि यदि कुछ किया गया होता तो वहां कम से कम अवैध निर्माण न किया जा रहा होता। ऐसा नहीं कि इस बंगले में हाल फिलहाल में अवैध निर्माण शुरू किया गया है। जानकारों की मानें तो अरसे से इसमें अवैध निर्माण चल रहा है। सुनने में तो यहां तक आया है कि अवैध निर्माण की रिपोर्टिंग मौखिक रूप से सेनिटेशन स्टाफ जो सफाई के लिए मार्निंग में निकलता है उन्होंने सेनिटेशन हेड को दी, लेकिन सेनिटेशन हेड ने इसकी खबर कैंट बोर्ड इंजीनियरिंग सेक्शन को दी या नहीं या मौखिक रूप से दी गयी  सूचना डंप कर दी गयी यह साफ नहीं। मुद्दा यह नहीं कि अवैध निर्माण की सूचना किसने दी या किसने नहीं दी, सवाल यह है कि अरसे से अवैध निर्माण कैसे चल रहा है, कैंट प्रशासन के किस अफसर का अवैध निर्माण करने वालों को वरद हस्त हासिल है। इसकी यदि जांच करा दी जाए तो कई लोग बेपर्दा हो जाएंगे।

दो बार हो चुका है ध्वस्तीकरण

इस बंगले में  अवैध निर्माण किन हालातों में चल रहा है। बीसी लाइन के बंगला 152 में दो बार ध्वस्तीकरण हो चुका है। पहला ध्वस्तीकरण तीन माह पूर्व हुआ था और दूसरा ध्वस्तीकरण करीब एक माह पूर्व हुआ बताया जाता है। यह भी जानकारी मिली है कि कमांडर के आदेश पर और खुद कमांडर ने मौके पर रहकर इस बंगले के अवैध निर्माण को ध्वस्त कराया, लेकिन हैरानी करने वाली बात यह है कि इसके बावजूद इस बंगल में आज भी अवैध निर्माण जारी बताया जाता है। यह चमत्कार कैसे हो रहा है। कमांडर के आदेशों पर अवैध निर्माण कराने वाले कैसे भारी पड़ रहे हैं या फिर यह मान लिया जाए कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है, वर्ना क्या कारण है कि जिस बंगले में दो बार अवैध निर्माण पर जेसीबी चल चुकी है, उसको बुलडोेज किया जा चुका है, वहां अवैध निर्माण जारी है। या फिर यह मान लिया जाए कि कैंट प्रशासन के मेरठी अफसरों की नींद रक्षा मंत्रालय में ऐसे मामलों की शिकायत के बाद ही टूटती है। यदि ऐसा है तो संभव है कि कोई आरटीआई एक्टिविस्ट कमांडर की सख्ती के बावजूद बीसी लाइन 152 में अवैध निर्माण की शिकायत हो सकता है रक्षा मंत्रालय को भेज दे।

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