साइकिल रैली तय करेगी असर, मेरठ नगर निगम मेयर के चुनाव में गठबंधन प्रत्याशी सीमा प्रधान के समर्थन में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव मेरठ में साइकिल चलाने को पहुंचे हैं, साइकिल रैली के साथ ही अखिलेश यादव का उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में मुसलमानों के बीच कद भी तय हो जाएगा. हालांकि सरधना विधायक से नाराजगी या मनमुटाव के चलते सपा के स्थानीय नेताओं को अखिलेश यादव की साइकिल रैली से किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं. उनका यहां तक कहना है कि अपने संबंधों के चलते अतुल प्रधान भले ही प्रचार के अंतिम दिन सपा सुप्रीमो को मेरठ लाने में कामयाब रहे हों, लेकिन मतदान के दिन इसका मुस्लिमों पर कितना असर होगा, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही तय होगा. उनका तर्क है कि इस चुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, शहर विधायक रफीक अंसारी, दक्षिण विधायक गुलाम मोहम्मद और सपा का दलित चेहरा माने जाने वाले पूर्व विधायक योगेश वर्मा, निवर्तमान मेयर सुनीता वर्मा सरीखों के दूरी बनाने के लिए सरधना विधायक की कार्यशैली जिम्मेदार है. चुनाव में बजाए संगठन के टीम अतुल प्रधान काम कर रही है, इस चुनाव को सरधना विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लड़ा जा रहा है, जो रिस्की साबित हो सकता है. शहर और दक्षिण विधायक का दूरी बनाना मुस्लिमों वोटों पर प्रतिकूल असर भी डाल सकता है. सपाइयों का कहना है कि ऐसा नहीं कि सरधना विधायक इस खतरे से अंजाम हों, शायद यही कारण है कि अखिलेश की साइकिल रैली के लिए जो रूट रखा गया है वह मेरठ नगर निगम क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में रखा गया है. गैर मुस्लिम इलाकों को इस रूट से दूर ही रखा गया है, हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इस रूट के बाद मुस्लिमों को लेकर सीमा प्रधान को कितना फायदा होगा, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह साइकिल रैली सपा सुप्रीमो का मुसलमानों पर असर तय कर देगी. सपाई मानते हैं कि चुनाव में यदि विधायक रफीक अंसारी व गुलाम मोहम्मद, पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, पूर्व विधायक योगेश वर्मा सरीखे चेहरों को जमा कर लिया होता तो शायद सपा सुप्रीमो की साइकिल रैली की जरूरत ही नहीं पड़ती. जो कार्यक्रम पहुंचा है उसके मुताबिक अखिलेश यादव शहर विधायक के यहां भी जाएंगे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं कि अखिलेश यादव घर में आना शहर विधायक और सरधना विधायक के बीच की खाई पाट सकेगा या नहीं. लेकिन हां इतना जरूर है कि चुनाव परिणाम आने पर अखिलेश यादव का मुसलमानों पर कितना असर है यह जरूर साफ हो जाएगा. गठबंधन प्रत्याशी के चुनाव संचालन को लेकर जिस प्रकार की आशंकाएं सपाई जता रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि नुकसान का सीधा फायदा मेरठ नगर निगम में भाजपा का कमल खिलाने में करेगा.