डिफैंस अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट, मेरठ कैंट बोर्ड में मनोनीत सदस्य के मुददे को लेकर रक्षा मंत्रालय के कई अफसरों जिनमें डीजी डिफैंस, जीओसी इन चीफ लखनऊ, प्रिंसिपल डायरेक्टर लखनऊ और कैँट बोर्ड अध्यक्ष कमांडर भी शामिल हैं, के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट दायर की गयी है। जानकारों का मानना है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो संघ से करीबी रिश्ता रखने वाले भाजपा के डा. सतीश शर्मा की कैंट बोर्ड की सदस्यता छीन भी सकती है। वहीं दूसरी ओर इस मामले के सामने आने के बाद कुछ भाजपाई बेहद खुश नजर आते हैं। कैंट बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने के बाद बोर्ड के कोरम के लिए पब्लिक का एक नुमाइंदा मनोनीत किया जाना था। यह सारा घटनाक्रम पूर्व सीईओ नवेन्द्र नाथ के कार्यकाल में हुआ। पब्लिक के नुमाइंदे के तौर पर सात नामों की सूची तैयार की गई। जिनमें भाजपा के अमन गुप्ता, स नरेन्द्र नागपाल, डा. सतीश शर्मा व राकेश शर्मा समेत कुल सात नाम शामिल थे। विधि विशेषज्ञों की राय में डा. सतीश शर्मा व राकेश शर्मा की दावेदारी नियमानुसार नहीं बनती थी। दरअसल पब्लिक का नुमाइंदा वही बन सकता है जिसको कभी बोर्ड से कोई नोटिस न जारी किया गया हो और जिसका कृत्य बोर्ड के खिलाफ न रहा हो। अवैध निर्माण मामलों को लेकर डा. सतीश शर्मा को नोटिस व राकेश शर्मा के बोर्ड के खिलाफ कोर्ट में पैरवी की बात सामने आयी। इसके मददे नजर माना जा रहा था कि अमन गुप्ता बाजी मार ले जाएंगे। वैसे भी अमन गुप्ता का नाम सांसद चला रहे थे। लेकिन महानगर भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के दखल व डा. सतीश शर्मा के संघ से पुराना रिश्ता होने का वास्ता देकर उनका नाम फाइनल कर दिया गया। बस यही पर रक्षा मंत्रालय के अफसरों से चूक हाे गयी। इस मामले में कैंट अधिनियम 2006 के कई प्रावधानों व उनकी धाराओं व उप धाराओं का ताक पर रख दिया गया। इसी को आधार बनाकर मुख्य दावेदार माने जा रहे स. नरेन्द्र नागपाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट दायर कर दी। रिट में डीजी डिफैंस, जीओसी इन चीफ लखनऊ, प्रिंसिपल डायरेक्टर लखनऊ और कैँट बोर्ड अध्यक्ष कमांडर व सीईओ का पक्षकार बनाया गया है। इसकी शीघ्र सुनवाई होने जा रही है कि जानकारी मिली है। यदि इस मामले की फास्ट ट्रेक की तर्ज पर सुनवाई होती है तो आने वाले दिनों में यह मामला संबंधित सभी अफसरों व सदस्य के गले की फांस भी बन सकता है।