डीएन के आने से पहले ईमेल जाने की चर्चा, मध्य कमान लखनऊ से डायरेक्टर डीएम यादव के मेरठ कैंट बोर्ड आने से पहले उनके द्वारा की जाने वाली जांचों को रोकने के लिए ईमेल भेजे जाने की जबरदस्त चर्चा है। कैंट बोर्ड के स्टाफ में इसकी खासी सुगबुगाहट है हालांकि अधिकृत रूप से कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं। इसको लेकर कुछ उच्च पदस्थ से पुष्टि का प्रयास किया लेकिन उत्तर अनभिज्ञता में मिला। डीएन यादव के किसी भी समय यहां पहुंच सकते हैं या हो सकता है कि पहुंच गए हों। वहीं दूसरी ओर जिनकी शिकायतों पर जांच के लिए मिनिस्ट्री ने मेरठ भेजा है, उनको इस जांच में सहयोग का आग्रह करते हुए मंगलवार को तमाम साक्ष्य व एक शपथ पत्र के साथ आने का न्यौता मिल गया है। साथ ही उनसे कहा गया है कि मंगलवार को मेरठ से कहीं बाहर न जाएं। अब यदि डीएन यादव के दौरे की बात की जाए तो माना जा रहा है कि जांच के दौरान अवैध निर्माणों के अलावा मेरठ कैंट में घर-घर कूडा उठाने के डोर टू डोर ठेका भी जांच के दायरे में है। लेकिन इस सबसे इतर जो उनके जांच के दायरे में है और कैंट बोर्ड के कुछ अफसरों के लिए मुसीबत और फजीहत का कारण बन सकता है वो है पिछले दो साल के दौरान जो भुगतान किए गए हैं उन पेमेंट की जांच। अवैध निर्माण की जांच की जहां तक बात है, उससे बच निकलने के तमाम रास्ते विशेषज्ञ जानते हैं, लेकिन जहां तक दो साल के पेमेंट कि बात है तो जो फाइलों में दर्ज हो चुका है, वो पत्थर की लकीर होता है और पत्थर की लकीरें मिटा नहीं करतीं। यानि साफ है की दो साल के दौरान किए गए पेमेंट ही शिकंजे की वजह बनेगी। बाकि चीजों को लेकर उतनी घबराहट नजर नहीं आ रही है। डोर टू डोर ठेकेदार को गलत पेमेंट की शिकायतके साइड इफैक्ट तो इन दिनों कैंट बोर्ड में साफ देखे जा सकते हैं। सस्पेंशन !