डीएन पॉलिटेक्निक: बगैर पेपर कैसे हो घोटाले की जांच

डीएन पॉलिटेक्निक: बगैर पेपर कैसे हो घोटाले की जांच
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डीएन पॉलिटेक्निक: बगैर पेपर कैसे हो घोटाले की जांच, मेरठ के परतापुर स्थित डीएन पॉलिटेक्निक के बच्चों की फीस के 9 करोड़ ठिकाने लगाए जाने के घोटाले की दूसरी बार भी जांच अटक गयी है। दरअसल जांच कमेटी का कहना है कि जो पेपर मांगे जा रहे हैं वो नहीं दिए गए हैं। जांच से संबंधित पेपर दाखिल करने की आज शनिवार को अंतिम तिथि थी जांच कमेटी में शामिल  सदस्य  जी. बी. सिंह प्रिन्सिपल गवर्नमेंट पालीटेक्निक हिंडाल्पुर हापुड़ ने बताया कि यदि पेपर नहीं दिए गए तो फिर उसी के अनुसार जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस बीच सूत्रों ने जानकारी दी है कि जो पहली जांच कमेटी एसके सिंह संयुक्त सचिव प्राविधिक शिक्षा बुंदेलखण्ड झांसी की अध्यक्षता में बनी थी, उसने तमाम खामियां पकड़ी हैं। हालांकि अधिकृत रूप से उसको लेकर कोई जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन कथित घोटाले की जांच के लिए जो दूसरी कमेटी संदीप कुमार सिंह ज्वाइंट डायरेक्टर टेक्निकल झांसी की अध्यक्षता में बनी है उसमें शामिल सदस्य जय प्रकाश सिंह का कहना है कि बगैर अनुमति लिए निर्माण कार्य कराए गए हैं इसके अलावा जांच के दौरान जो आरोप लगाए गए हैं उनका भी मौके पर भौतिक सत्यापन किया जाना है, लेकिन उसके लिए जो पेपर मांगे गए थे वो नहीं मिले हैं। वहीं दूसरी ओर शासन में विशेष सचिव प्राविधिक शिक्षा वेद प्रकाश शर्मा से जब इस संबंध में पहले की जांच रिपोर्ट के बारे में इस संवाददाता ने पूछा तो उनका कहना था कि वह अभी बाहर हैं और लौटकर फाइल देखकर ही कुछ बता पाएंगे। हालांकि डीएन पाॅलिटैक्निक के चेयरमैन अजय अग्रवाल से जब इस मामले में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार की बातें कहीं जा रही हैं, वैसा कुछ नहीं है। कालेज में काफी काम कराया गया है। जहां तक जांच की बातें हैं तो इस प्रकार की जांचों का सामना तो पिछले दस सालों से कर रहे हैं।

ठिकाने लगा दिए फीस के 9 करोड़

मेरठ के डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य छात्रों की फीस के करीब 9 करोड़ की रकम को ठिकाने लगाए जाने की जांच में फंस गए हैं। उनकी कारगुजारियों की भनक लगने के बाद शासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। आरोप है कि छात्रों की फीस के रूप में जमा की गयी 9 करोड़ की रकम को ठिकाने लगाने के लिए तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रख दिया गया।  इस मामले के सामने और प्रधानाचार्य स्तर पर कथित रूप से की गयी इस कारगुजारी से सभी हैरान हैं।  मामला छात्रों की फीस के 9 करोड़ की एक बड़ी रकम को लेकर गंभीर वित्तय अनियमितता का था, सो प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते हुए निदेशक प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश ने संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिमी क्षेत्र जेएल वर्मा को डीएन पॉलिटेक्निक में कथित रूप से अंजाम दिए गए 9 करोड़ के वित्तीय घोटाले की जांच के आदेश दे दिए। 17 मार्च 2023 को संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिमी क्षेत्र जेएल वर्मा ने शिकायत कर्ता को एक पत्र भेजकर डीएल पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य पर कथित तौर पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि को कहा, जिसके उत्तर में कुलदीप शर्मा ने एक पत्र भेजकर बता दिया कि आरोप सत्य हैं। इसके बाद निदेशक प्राविधिक शिक्षा के राम ने 8 फरवरी 2023 को डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य  के  खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यों वाली एक कमेटी गठित कर दी गयी। इस कमेटी का अध्यक्ष जेएल वर्मा संयुक्त निदशेक प्राविधिक शिक्षा तथा सदस्य जान बेग लोनी प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक गाजियाबाद और कोषाधिकारी कोषागार मेरठ को बनाया गया है।

यह हुआ

डीएन पॉलिटेक्निक के करोड़ों के कथित वित्तीय घोटाले की यदि बात की जाए तो बताया गया है कि डीएन पॉटैक्निक में इवनिंग क्लासें चलते हैं। इन क्लासों  का टयूशन शुल्क मार्निंग में चलने वाली क्लासों की फीस से कुछ अधिक होता बताया गया है। इवनिंग क्लासों में आने वाले छात्रों की फीस के रूप में ही यह रकम जमा थी, जिसको ठिकाने लगा दिया गया। आरोप है कि जो काम कराए गए बताए जा रहे हैं उसमें अनाप शनाप रेट दिखाए गए हैं जो सत्यता से परे हैं।

जांच में सहयोग न करने का आरोप

डीएन पॉलिटेक्निक के अंजाम दिए गए इस बड़े वित्तीय घोटाले की जांच में सहयोग न करने के चलते निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानुपर ने 13 अप्रैल 2023 को सख्त लहजा अख्तयार करते हुए एक पत्र प्रधानाचार्य डीएन पॉलिटेक्निक वीरेन्द्र आर्य को भेजा था, जिसमें निदेशक ने फटकार लगाते हुए कहा है कि जिन 13 बिंदुओं पर संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने जानकारी मांगी है वह जानकारी नहीं दी गयी है। डीएन पॉलिटैक्निक के प्रधानाचार्य ने दस पेजों की एक आख्या में बगैर हस्ताक्षर के उपलबब्ध करायी है। निदेशक ने इस बात भी नाराजगी व्यक्त की है कि कथित वित्तय अनियमित्ता को लेकर जो जानकारी मांगी गयी है, उन बिंदुओं पर कोई स्पष्टीकरण नहीं भेजा गया है। इधर उधर की बातें अधिक कहीं गयी हैं। सबसे गंभीर बात यह कि जो स्पष्टीकरण भेजा गया है उस पर विरेन्द्र आर्य ने हस्ताक्षर तक नहीं किए गए हैं। इससे भद्दा मजाक जांच कमेटी के साथ और क्या हो सकता है। इस मामले को उजागर करने का काम सजग प्रहरी उत्तर प्रदेश शाखा के जिलाध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने। उन्होंने ही डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य के कृत्य का खुलासा करते हुए निदेशक प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश कानपुर के राम को साक्ष्यों के साथ गोपनीय पत्र भेजा। कुलदीप शर्मा का आरोप है कि जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी प्रकार से पूरी जांच कमेटी ही मैनेज हो जाए इसके लिए इन दिनों जांच टीम में शामिल प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक की परिक्रमा किए जाने की खबरें मिल रही हैं, लेकिन जांच प्रक्रिया पर पूरी नजर रखी जा रही है। मामला छात्रों की फीस के 9 करोड़ के वित्तीय घोटाले का है, इसको किसी भी दशा में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

यह कहना है प्रधानाचार्य का

डीएन पॉलिटेक्निक मेरठ के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र आर्य का कहना है कि इस प्रकार की तमाम जांचें चलती रहती हैं। जहां तक निदशेक प्राविधिक शिक्षा कानपुर के आदेश पर चल रही जांच का प्रश्न है तो जिस प्रकरण को लेकर जांच की जा रही है वह सेल्फ फाइनेंस से जुड़ा है। उसकी फीस से कुछ निर्माण संबंधी कार्य कराए गए हैं। इस प्रकार के कार्य कराए जाने का अधिकार मैनेजमेंट कमेटी के पास सुरक्षित होता है। जांच में पूरा सहयोग भी किया जा रहा है।

यह कहना है चेयरमैन अजय अग्रवाल का

डीएन पाॅलिटैक्निक के चेयरमैन अजय अग्रवाल से जब इस मामले में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार की बातें कहीं जा रही हैं, वैसा कुछ नहीं है। कालेज में काफी काम कराया गया है। जहां तक जांच की बातें हैं तो इस प्रकार की जांचों का सामना तो पिछले दस सालों से कर रहे हैं।

यह कहना है जांच कमेटी के सदस्य जेबी सिंह का

जहां कमेटी के सदस्य व प्रिन्सिपल गवर्नमेंट पालीटेक्निक हिंडाल्पुर हापुड़ कुछ पेपर जो जांच में जरूरी हैं वो मांग गए हैं लेकिन अभी तक नहीं मिले हैं। यदि पेपर नहीं मिले तो उसके आधार पर ही रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उन्होंने घोटाला होने के संकेत दिए हैं।

यह कहना है विशेष सचिव प्राविधिक शिक्षा लखनऊ

शासन में विशेष सचिव प्रविधिक शिक्षा लखनऊ वेद प्रकाश शर्मा ने बताया कि पूर्व में जो जांच हुई है उसमें क्या कहा गया है यह अभी संज्ञान में नही हैं। फाइल जब सामने हों तभी तफ्सील से बताया जा सकता है।

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