ई-कोर्ट: ताकि मिल सके जल्द इंसाफ

ई-कोर्ट: ताकि मिल सके जल्द इंसाफ
Share

ई-कोर्ट: ताकि मिल सके जल्द इंसाफ, इंसाफ मिलने में देरी भी किसी नाइंसाफी से कम नहीं, लेकिन यदि सब कुछ ठीक रहा तो मेरठ या यूपी ही नहीं बल्कि देश भर के लोगों को राज्यसभा सांसद व उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष तथा प्रदेश के मंत्री रहे  मेरठ के डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के प्रयासों की बदौलत शीघ्र व सस्ता न्याय ईकोर्ट की मार्फत मिल सकेगा। इस दिशा में काफी कुछ काम शुरू भी हो चुका है। देश के अनेक राज्यों के हाईकोर्ट काफी आगे बढ़ भी चुके हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने  साल 2023-024 के बजट में करीब 72 हजार करोड़ का प्रावधान भी कर दिया है। शुरू के दो सालों में ई-कोर्ट को चलाने का व्यय केंद्र सरकार उठाएगी, लेकिन बाद में यह भार राज्य सरकारों को उठाना होगा। साफ व खरी बात के लिए लोगों में ही नहीं बल्कि सरकार व संगठन में भी खास पहचान रखने वाले राज्यसभा सांसद डा. वाजपेयी का प्रयास ई-कोर्ट की स्थापना में किसी से छिपे नहीं हैं। उन्होंने सरकार में इसकी पुरजोर कोशिश की है।

विधि मंत्रालय से मांगी जानकारी:

ई-कोर्ट के लिए लगातार प्रयासरत डा. वाजपेयी के एक प्रश्न के उत्तर में आज गुरूवार को सरकार की ओर उत्तर दिया जाना तय था। उन्होंने पूछा था कि क्या उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायधीशों के लिए ई-फाइलिंग केंद्र की स्थापना करने और सस्ते व सुलभ न्याय के सर्वोच्च सिद्धांत की अवधारणा को मजबूत करने के लिए वादियों के हितार्थ वर्चुअल पद्धति से न्यायिक कार्यवाही करने के संबंध में 30 नवंबर 2022 काे कोई पत्र लिखा गया था।  क्या न्यायाधीशों की ओर से कोई उत्तर प्राप्त हुआ है। यदि हां तो सरकार वर्चुअल पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए क्या विचार रखती है।

सकारात्मक प्रतिक्रिया:

सांसद डा. वाजपेयी के प्रयासों के चलते केंद्र की मोदी सरकार के विधि मंत्रालय से जो उत्तर मिला व इस परिपेक्ष्य में अब कार्रवाई की गयी है वो उत्साह वर्धक व स्वागत योग्या है। डा. वाजपेयी ने सरकार के हवाले से बताया कि ई-फाइलिंग सुविधा के माध्यम से वर्चुअल बैंच निर्माण और उच्च न्यायालय की अतिरिक्त बैंच की स्थापना के बदले मामलों की वर्चुअल सुनवाई को समक्षम करने के संबंध में पूर्व में तत्कालीन विधि न्याय मंत्री किरन रिजिजू ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को 9 मार्च 2023 को एक पत्र संबोधित किया था। हालांकि न्याय विभाग द्वारा  30 नवंबर 2022 कोई संसूचना नहीं भेजी गयी थी।

लंबे समय से चली आ रही है मांग:

देश के जिन राज्यों का भौगोलिक क्षेत्रफल बड़ा और भू-भाग कठिन है, वहां उच्च न्यायालयों की अतिरिक्त पीठों की स्थापना की राज्याें की लंबे समय से चली आ रही मांग है। उच्च न्यायालयों की अतिरिक्त पीठों की स्थापना के लिए एक निर्धारित व लंबे समय वाली प्रक्रिया होती है। राज्य के विभिन्न जिलों में ई-फाइलिंग सुविधा के माध्यम से वर्चुअल बैंच के सृजन और जिले से मामलों की वर्चुअल सुनवाई को सक्षम करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त बैंच की स्थापना की आवश्यकता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।

कुछ राज्यों में शानदार पहल:

उड़ीसा हाईकोर्ट (कटक) ने जिला न्यायालयों में उच्च न्यायालयों की बीस वर्चुअल बैंचों की स्थापना की है, इससे अधिवक्ताओं/पक्षकारों को व्यक्तिगत रूप से वर्चुअल उच्च न्यायालय के केंद्रों के माध्यम से उपस्थित होने और कोर्ट के समक्ष मामलों के संचालन में सुविधा मिलती है। डा. वाजपेयी ने सरकार के हवाले से बताया कि इसको लेकर उड़ीसा हाइकोर्ट की वेवसाइट पर विस्तार से जानकारी हासिल की जा सकती है।

सकारात्मक पहल:

कर्नाटक, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व सिक्कम के उच्च न्यायालयों से 9 मार्च 2023 के पत्र के संबंध में प्रतिक्रियां प्राप्त हुई हैं, जिन्होंने वर्चुअल तरीके  के माध्यम से सस्ता व सुलभ न्याय को बढ़ावा देने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के आधीन प्रदान की गयी सुविधाओं का समर्थन किया है।

लाइव स्ट्रीमिंग की  शुरूआत:

गुजरात, गुहाटी, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना, मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय और भारत के उच्चतम न्यायायल में न्यायालय की कार्यवाही लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी गयी है। इससे अब मीडिया व अन्य इच्छुक भी जुड़ सकते हैं।

अब तक 19 हाईकोर्ट:

30 जून 2023 तक देश के 19 उच्च न्यायालयों ने ई-फॉइलिंग के मॉडल नियमों को अपनाया है। डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए उन वकीलों या वादियों को सुविधा देने के आश्य से 819 ई-सेवा केंद्र शुरू किए गए हैं, जिन्हें सूचना से लेकर सुविधा व ई-फाइलिंग तक किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है।

भारी भरकम बजट आवंटित:

सरकार के हवाले से सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बताया कि भारत सरकार ने संघीय बजट 2023-24 ई-न्यायालय परियोजना के तीसरे के लिए सात हजार करोड़ की घोषणा की है। भारत के उच्चतम न्यायालय की ई-समिति द्वारा अनुमोदित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के आधार पर व्यय वित्त समिति ने 30 फरवरी 2023 को हुई बैठक में 7212 हजार करोड़ के कुल परिव्यय के साथ ई न्यायालय चरण की सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त 21 जून 2023 को हुई बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में सशक्त प्रौद्योगिक समूह ने भी अनुमोदन के लिए ई न्यायालय चरण की सिफारिश की है।

@Back Home

 

 


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *