हाउस टैक्स या लूट की खुली छूट

हाउस टैक्स या लूट की खुली छूट
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हाउस टैक्स या लूट की खुली छूट, -खुली लूट के बाद भी कोई मुंह खोलने को तैयार  नहीं- मेरठ कैंट बोर्ड में इन दिनों हाउस टैक्स के नाम पर लूट की मानों खुली छूट मिल गयी है। कैंट बोर्ड का टैक्स सेक्शन के कृत्य तो समझ में आते हैं, लेकिन जनता से की जा ही इस खुली लूट पर जनता के नुमाइंदों की चुप्पी जरूर हैरानी भरी है।

पहले बात जनता के नुमाइंदों की कर ली जाए उन नुमाइंदों की जिनकी सरकार प्रदेश और केंद्र में है। जिन पर खुली लूट का आरोप निरीह जनता लगा रही है वो अफसर भी भाजपा शासित सरकार के हैं। जिस मेरठ कैंट की बात की जा रही है वो भी भाजपा का गढ कहलाता है, इसके बाद भी इसी भाजपा के गढ़ में कैंट बोर्ड के टैक्स सेक्शन के कुछ कर्मियों के कृत्य से लोग बेहाल हैं। उनकी बेहाली और परेशानी जनता के इन नुमाइंदों को न तो नजर आ रही है और ना ही कोई कैंट बार्ड के अफसरों से पूछने की हिमाकत कर पा रहा है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। और कैंट बोर्ड के नाममित सदस्य भी सत्ताधारी पार्टी से हैं और जनता की आवाज उठाने के नाम पर उन्हें नामित किया गया है। हालांकि कुछ ऐसे भी हैं जिनका दुआ सलाम बड़े नेताओं या स्टाफ में है उनकाे तो राहत मिल रही है, लेकिन जिसका कोई नहीं कैंट बोर्ड में तो उसकी मदद फिर भगवान भी शायद ही करें।

नए एक्ट के नाम पर

नाम न पूछे जाने की शर्त पर तमाम भुक्त भाेगियों ने बताया कि उनका टैक्स सौ से लेकर तीन सौ गुना तक कर दिया गया है। इसके पीछे तर्क कैंट एक्ट 2006 के प्रावधानों का दिया जा रहा है। चलिए यह भी मान लिया कि कैंट एक्ट 2006 के प्रावधानों में हाउस टैक्स में बढ़ौत्तरी की बात कही गयी है, लेकिन बढ़ौत्तरी करने वाले अफसर यह तो बताएं कि हाउस टैक्स की बढ़ौत्तरी का स्वरूप क्या होगा, यह तो अभी मंत्रालय ने तय ही नहीं किया है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण यह है नियम है कि यदि कोई आपत्ति दाखिल कर देता है तो उसका टैक्स बीस फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकेगा। लेकिन इसकी जानकारी शायद कम ही होगों को हो। शायद यही वजह है कि लूट की छूट मिली हुई है। टैक्स कम कराने के नाम पर पब्लिक की उल्टे उस्तरे से हजामत बनायी जा रही है।

यह है मकानों का स्वरूप

एक अनुमान के मुताबिक लगभग पच्चीस हजार वैध और और करीब 46 हजार ऐसे मकान कैंट क्षेत्र में है जिन पर अवैध का ठप्पा लगा हुआ है। जानकारों का कहना है कि अवैध की भवनों की कई कैटेगीरी बना दी गयी हैं। लेकिन यहां आज बात केवल लूट के नाम पर खुली छूट और उस छूट पर बड़े नेताओं की चुप्पी है।  इन मकानों पर अंधाधुंध टैक्स लगा दिया गया है। कई ऐसे भी केस मिले हैं जिनके मकानों में कोई किराएदार नहीं, लेकिन वहां किराएदार दर्शाकर टैक्स थोप दिया गया है। टैक्स की मार से कैंट के वाशिंदे बेहाल हैं।

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