इंतजार करते रह गए मेयर

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इंतजार करते रह गए मेयर, मेरठ। महापौर हरिकांत अहलूवालिया सीईओ कैंट बोर्ड को अपने स्टाफ के साथ बार-बार काल कर मौके पर पहुंचने का आग्रह करते रहे, लेकिन कैंट प्रशासन का कोई अफसर या स्टाफ का कर्मचारी नहीं पहुंचा। दरअसल हुआ यह है कि छावनी स्थित सीएबी कालेज के सामने भैंसाली मैदान में भगवत कथा का आयोजन किया गया है। कथा का शुभारंभ छह जुलाई दिन गुरूवार से किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन गुरूवार सुबह से अचानक झमाझम बारिश ने कथा को लेकर की गयी तैयारियों पर पानी फेर दिया। भैंसाली मैदान के भीतर और सीएबी कालेज के सामने यानि भैंसाली मैदान के बाहर बारिश का पानी भर गया। हालत यह हो गयी कि वहां से पैदल निकलना भी दुश्वार हो गया।तमाम भाजपाई आयोजक पशोपेश में पड़ गए। महापौर हरिकांत अहलूवालियां भी भागवत कथा के आयोजन की तैयारियों का जायजा लेने अन्य भाजपाइयों के साथ मौके पर पहुंचे हुए थे। लेकिन भैंसाली मैदान और वहां तक पहुंचने के लिए रास्ते की हालात देखकर उन्होंने तत्काल सीईओ कैंट व कैंट प्रशासन के अन्य अधिकारियों को काल किया और उनसे मौके पर पहुंचने का आग्रह किया। महापौर ने उन्हें बताया भी कि कथा का आयोजन किया जाना है। इसको आगे भी नहीं बढाया जा सकता है। महापौर बर-बार काल कर कैंट बोर्ड अधिकारियों से मौके पर पहुंचने को कहते रहे, लेकिन कभी मिटिंग तो कभी किसी अन्य व्यवस्तता की बात कहकर कैंट प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचने से कन्नी काटते रहे। भैंसाली मैदान पर जहां पानी भरा हुआ था, वहां खड़े महापौर के सब्र का जब बांध टूट गया तो उन्होंने नगरायुक्त को काल कर वहां से पानी की निकासी करने वाले पंप मंगवाए। तब कहीं जाकर सीएबी कालेज के सामने सड़क और भैंसाली मैदान से पानी की निकासी करायी जा सकी। पानी की निकासी का प्रबंध करने के बाद महापौर वहां से अपने काम के लिए निकल गए, लेकिन कैंट प्रशासन का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
भाजपाइयों ने दिया उलाहना:
छावनी परिषद के अफसरों का रवैया देखकर मौके पर मौजूद कथा आयोजन से जुड़े कुछ भाजपाइयों इस मौके पर उलाहना देने से नहीं चूके। उनका कहना था कि केंद्र और राज्य दोनों में पार्टी की सरकार, सारे सांसद और शहर विधानसभा को छोड़कर सारे विधायक भाजपा के कैंट बोर्ड में भाजपा के मनोनीत सदस्य और कैंट विधानसभा क्षेत्र जहां कथा का अयोजन कराया जा रहा है, वो इलाक भाजपा का गढ़।इतना सब कुछ होने के बाद भी यदि कैंट बोर्ड के अफसरों का रवैया महापौर के प्रति इस प्रकार का है तो यह सोचने को बाध्य करता है।

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