जैन तीर्थों की रक्षा का संकल्प

जैन तीर्थों की रक्षा का संकल्प
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जैन तीर्थों की रक्षा का संकल्प, आज रविवार 30 जुलाई  को विश्व जैन संगठन के नेतृत्व में मेरठ मवाना सरधना खतौली बड़ौत आदि क्षेत्रों से ट्रांसपोर्ट नगर मेरठ स्थित कार्यालय से प्रातः 6 बजे 20 गाड़ियों के काफिले के साथ जैन समाज के लोग दिल्ली में ऋषभ विहार जैन मंदिर में जैन धर्म तीर्थ और संस्कृति के संरक्षण हेतु परम पूज्य आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आयोजित जिन धर्म संरक्षण सभा में पहुँचे,  जिसमें जैन धर्म, तीर्थ और संस्कृति पर लगातार हो रहे हमले के विरोध में आवाज उठाई गयी। जैन समाज द्वारा अपने तीर्थों की रक्षा का संकल्प भी लिया गया। सभा को मेरठ के ट्रांसपोर्ट नगर निवासी विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री सुदीप जैन ने संबोधित करते हुए कहा कि गुजरात के जूनागढ़ जिले के गिरनार पर्वत स्थित 22 वें तीर्थैंकर भगवान नेमिनाथ की मोक्ष स्थली पर जैनियों का अधिकार सुनिश्चित किया जाए। हम उन मंदिरों और तीर्थो की बात नहीं कर रहे जो कई सौ वर्ष पूर्व राजतंत्र में हम से छीन लिए गए बल्कि हम उस तीर्थ की बात कर रहे है जो स्वंतत्र भारत में मात्र अबसे 20 वर्ष पूर्व से हमसे छिना जा रहा है। वहाँ पर जैनियों का अधिकार ससम्मान वापिस चाहिए नहीं तो हम धर्म युद्ध के लिए तैयार है और किसी भी धर्मयुद्ध को जीतने के लिए सबसे पहले हमें अपने अंदर के दो शत्रुओं पर विजय प्राप्त करनी होगी… एक डर और दूसरा लालच… डरना किस बात का मृत्यु तो सभी को एक न एक दिन आनी है.. हम अपने साधु भगवंतों की तरह त्याग संयम को अंगीकार कर इस जीवात्मा के असली उद्देश्य समाधिमरण को प्राप्त करने में असमर्थ है पर अगर अपने धर्म के लिए मर मिट गए तो वो भी समाधिमरण का एक छोटा रूप होगा। हमारे तीर्थ इसलिए नहीं लुटे की लूटेरे ने शोर मचाया बल्कि हमारे शीर्ष पर बैठे लोग अपने राजनैतिक और व्यापारिक स्वार्थ में खामोश रहे इसलिए लुटे। सुदीप जैन कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश जो कि महाभारत कालीन हस्तिनापुर की पृष्ठभूमि से आता है उसके एक एक युवा में वो अर्जुन विद्यमान है जो कहता है कि अपना धर्म निभाने को अपनों से भी लड़ना पड़ता है, जब भीष्म अधर्म के रक्षक हो तो अर्जुन बनना है क्योंकि किसी पेड़ के कटने का किस्सा न होता अगर कुल्हाड़ी के पीछे उसी पेड़ की लकड़ी का हिस्सा न होता। शास्त्रों में लिखा है कि दान सुपात्र को देना चाहिए क्योंकि कुपात्र को दिये गए दान में उसके पाप में हम भी भागीदार हो गए और मतदान तो ऐसा दान है जिसमें हम अपने धर्म और संस्कृति की नीति लिखने का अधिकार देते है तो ऐसे को दे जो हमारी धर्म और तीर्थ की रक्षा की नीति लिखे न कि विधर्मियों को देकर स्वयं ही अपने धर्म को नष्ट करने के पापी बने। आचार्य श्री सुनील सागर  ने कहा कि भारत महावीर के सिद्धांतों पर चलने वाला देश है जहाँ गाय और शेर के एक ही घाट पर पानी पीने की भावना भायी जाती है और उस देश में धर्म के नाम पर संस्कृति और प्राचीनता को नष्ट करना और आपस में लड़ाना उचित नहीं। जैनों को कम या कमजोर मत आकों क्योंकि पांडव भी पांच ही थे। इस मौके पर  प्रमोद कुमार जैन एडवोकेट, विजय कुमार जैन एडवोकेट, अनिल जैन चेतन, विशाल नेहरा, अधीर चौधरी, तुषार ढाका, ऋषभ जैन, अमित जैन वैभव जैन, सम्यक जैन, अनंत जैन, शुभम जैन, अनुज जैन, मयंक जैन, पारस जैन, अक्षय जैन अरिहंत, मवाना से अर्चित जैन, निकुंज जैन, मुदित जैन, सारथी जैन, सरधना से सागर जैन, अभिषेक जैन, निमित जैन, संयम जैन, अपार जैन, विकास जैन, हर्षित जैन, सौरभ जैन आदि भी मौजूद रहे।

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