जीत की गांरटी काे फीड बैक

तो क्या मेरठ में अब जाट पंजाबी
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जीत की गांरटी काे फीड बैक, संघ, संगठन पैरवी लेकिन इन सबके इतर भगवा खेमे की पहली पंसद है जिताऊ कैडिडेट। सिफारिशी और पैरोकारों के इतर जीत की गारंटी वाला फस्ट च्वाइस है और अब इसको लेकर ही कवायद जारी है, जिसके चलते माना जा रहा है कि भगवा खेमा ऐसे कैडिडेट को कंसीडर कर सकता है जिसके साथ करीब चालिस फीसदी तक गैर भाजपाई वोट महापौर के चुनाव में मिल सकें। माना जा रहा है कि इसी थ्योरी के चलते ही जो नाम मेरठ संगठन से भेजे गए थे उन पर विचार न कर नए सिरे से अब कवायद की जा रही है। मेरठ को लेकर प्रदेश संगठन कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश भाजपा ने अपना एक निजी सर्वे कराया है। प्रदेश संगठन बेहद सावधानी से फैसले ले रहा है। सिफारिश के इतर पहली पसंद जीत की गारंटी देने वाला चाहिए। जीत की गारंटी के फीड बैक के लिए अब गोपनीय सर्वे का सहारा है। इस सर्वे में ऐसे कैडिडेट की रिपोर्ट तलब की गयी है जिसके साथ भाजपा मतदाताओं के इतर अन्य मसलन जो मुसलमानों के साथ ही बसपा व कांग्रेस तथा सपा के परंपरागत गढ या सरल भाषा में कहें तो मतों में सेंध लगा सके। इसके लिए महिला कैंडिडेट तक से अब प्रदेश भाजपा को कतई गुरेज नहीं। दरअसल यह सारे समीकरण एकाएक बदले हैं और मेरठ से भेजे गए नामों के इतर नए सिरे से कवायद शुरू की गयी है वो सपा की सीमा प्रधान के आने के बाद की गयी है। यह बात समझ में आ गयी है कि सपा की सीमा प्रधान से मुकाबला कराना इतना आसान नहीं होगा। सीमा प्रधान पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। उनके पति खुद भी विधायक हैं इसके अलावा उनकी टीम को कम तर आंकना भी गैर मुनासिव होगा। शायद यही कारण है जो नए सिरे से कवायद शुरू कर दी गयी है। प्रदेश भाजपा नेतृत्व के सामने अब मछली की आंख यानि जीत की गारंटी वाला कैडिडेट कंसीडर करने के अलावा कोई दूसरा फैक्टर ही नहीं है। दो टूक बता दिया गया है कि यूपी का निकाय चुनाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर साइड इफैक्ट ना डाले ऐसा संभव नहीं है। इसलिए गिले शिकवे सब बातें बाद में पहला लक्ष्य यूपी के महापौर की सभी सीट जीता है और इस काम में किसी भी प्रकार की कमजोर कड़ी को साथ नहीं लिया जा सकता। ना ही जिताऊ को लेकर किसी प्रकार के कंप्रोमोइज की गुंजाइश है। शायद यही कारण है कि रातों रात एकाएक भगवा पार्टी में महापौर कैडिडेट के समीकरण इधर से उधर हो गए हैं। हालांकि किसमे कितना है दम यह अधिकृत सूची जारी होने के बाद ही साफ हो सकेगा। सपा की सीमा के मुकाबले अब किसी महिला को उतारे जाने के आसार अधिक नजर आने लगे हैं

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