जोन सी-वन में अवैध कालोनी, मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन सी-वन में एक और भूमाफिया ने दबंगई दिखाते हुए अवैध कालोनी काट डाली और एमडीए के तामझाम वाले अफसर कुछ नहीं कर सके। महानगर के बागपत रोड मेट्रो माल सनबीम कालोनी के समीप किसी शेर सिंह प्रजापति नाम का शख्स यह अवैध कालोनी काट रहा है। लोगों की माने तो खुद को भाजपा नेता बताने वाले मनीष प्रजापति नाम के शख्स को शेर सिंह ने इसमें साझीदार बनाय है। जिसके चलते सभी यही जान रहे हैं कि मनीष प्रजापति नाम के शख्स ने यह अवैध कालोनी काटी है। इलाके के लोगों से जब अवैध कालोनी काटने वाले के बारे में जानकारी हासिल की तो उन्होंने बताया कि इस शख्स के कनेक्शनऊ ऊपर ठीकठाक हैं। मसलन संगठन व सरकार में उसने अपने तार जोड़े हुए हैं। संगठन एवं सरकार के अलावा इस शख्स की साथ कई अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को भी अक्सर देखा गया है। कालोनी काट रहा है भले ही वह अवैध है, इसलिए अन्य भूमाफियाओं जो अब खुद को बिल्डर कहते हैं उनकी भी गाड़ियां इस शख्स के साथ चलने वाली गाड़ियों के काफिले में देखी जा सकती हैं।
शिकायत का नहीं संज्ञान:- लोगों ने जानकारी दी कि कुछ जागरूक लोगों ने खासतौर से आरटीआई एक्टिविस्ट ने जोन सी-वन में काटी गयी इस अवैध कालोनी की शिकायत जिला प्रशासन, मेरठ विकास प्राधिकरण और शासन तक की है। लेकिन उस शिकायत का कोई संज्ञान संबंधित विभाग के अफसरों द्वारा लिया गया हो, ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यह भी पता चला है कि एक दो नहीं कई शिकायतें इस अवैध कालोनी काे लेकर अब तक की जा चुकी हैं। उसके बावजूद एमडीए के अफसरों ने यहां आकर झांक कर देखने की जरूरत तक नहीं समझी।
खेतों में काटी जा रही है अवैध कालोनियां:- जोन सी-वन में मनीष प्रजापति की अवैध कालोनी हो या फिर महानगर में मेरठ विकास प्राधिकरण के अन्य जोनों में काटी जा रही अवैध कालोनियां, ये सभी अवैध कालोनिया किसानों से साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते हुए उनके खेत लेकर उनमें ही काटी जा रही है। अवैध कालोनी को विकसित के नाम पर सिर्फ इतना किया जा रहा है कि वहां रोड बनवा दी जाती है। रोड भी कोई बहुत बढिया नहीं होती है। जो रोड बनवायी जाती है वो सिर्फ ऐसी होती है कि अवैध कालोनी में भूखंड की बात करने के लिए आने वाले खरीदार को झांसा भर दिया जा सके। जो रोड बनवायी जाती है वो ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाती है। तमाम अवैध कालाेनियों में भी जो रोड बनवायी जाती हैं कालोनी के सभी भूखंड पूरी तरह से बिक भी नहीं आते हैं और रोड की सांस फूलने लगती हैं। वह जगह-जगह से उखड़ने लगती हैं। अवैध कालोनी में जहां जहां तक भी नजर जाती हैं, दूर तक रोडियां बिखरी नजर आती हैं।
पार्टी के रंग के बिजली के खंबे:- अवैध कालोनियां में जो दूसरा काम होता है वो यह कि बिजली सप्लाई के नाम पर जो खंबे भूमाफिया लगवाते हैं उनको जिस भी सरकार राजनीतिक दल की सरकार होती है, उसके रंग से पुतवा दिया जाता है। मेरठ में जब जितनी भी अवैध कालोनियां भूमाफिया काट रहे हैं उन सभी में ज्यादा के बिजली की खंबे सत्ताधारी भाजपा के झंड़े वाले रंग में पूते नजर आतें। इससे पहले ये भूमाफिया प्रदेश में जब सपा की सरकार हुआ करती थी तो लाल व हरे रंग से पुतवा दिया करते थे। ऐसे भूमाफियाओं की कभी भी किसी राजनीतिक दल की नीति व सिद्धांतों के प्रति कोई निष्ठा नहीं होती है। इनकी निष्ठा केवल अपने काम निकालने के लिए सत्ताधारी दल का झंडा थाम लेने भर तक होती है। जैसा की आजकल महानगर के तमाम अवैध कालोनियों में किया जा रहा है। पूर्व में जो भूमाफिया समाजवादी पार्टी के नेताओं के करीबियों में शुमार किए जाते थे वो तमाम भूमाफिया अब खुद को भाजपा नेताओं का करीबी व खुद को प्रखर भाजपाई साबित करने पर तुले हुए हैं। इसके लिए इनकी लग्जरी गाड़ी पर सत्ताधारी दल के नेता की फोटो वाला झंडा नजर आने के अलावा बैक मिरर पर भी सत्ताधारी दल के समर्थन में कुछ नारा लिखा पढा जा सकता है। इस सारी नोटंकी के पीछे महज वक्त जरूरत पड़ने पर अधिकारी के समझ खुद को भाजपाई साबित करना है। ऐसा नहीं कि ये केवल खुद काे निखालिस भाजपई ही साबित करते हैं। कई बार ऐसे भूमाफियाओं को सत्ताधारी संगठन के जो भी कार्यक्रम होते हैं उनमें सहयेाग के मामले में बढ चढ का हिस्सा लेते हैं। मसलन आयोजन का खर्गा उठाने में पीछे नहीं रहते। इसी प्रकार के कनेक्शन का फायदा उठाकर ही ये भूमाफिया अवैध कालोनी काटते हैं। ऐसी ही एक अवैध कालोनी मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन सी-वन में एक अन्य भूमाफिया ने काट डाली है। भूमाफियाओं की जब सत्ताधारी दल के नेताओं ने इतने कनेक्शन की बात सामने आती तो भले ही दावा कुछ भी किया जाए लेकिन अधिकारी भी हाथ डालकर सीधे जेसीबी मशीन चलवाने के कार्रवाई के नाम पर पीठ दिखाता नजर आता है। भले ही सूबे की योगी सरकार ने सख्त लहजे में ऐसे भूमाफियाओं जो काली कमाई से अवैध कालोनी काट रहें, उन पर सख्ती की बात कही हो, लेकिन वो सख्ती करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है और अधिकारियों का रवैया किसी से छिपा नहीं है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवैध कालोनी की बात करने वाले अधिकारी दो कदम आगे बढाते हैं तो चार कदम पीछे भी खिसक जाते हैं। शायद यही कारण है जो मेरठ महानगर में अवैध कालोनियों का जाल बिछ गया है। कार्रवाई तो दूर की बात रही मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर रोकते टोकते भी नजर नहीं आ रहे हैं।