कराना था खाली बनवा दीं कोठी, -आठ सौ करोड़ की भारत सरकार की संपत्ति पर कब्जे को गंभीर नहीं कैंट अफसर-अदालत के आदेश पर मेरठ कैंट के सीईओ व डीईओ सरीखे अफसरों को बंगला 210 बी को कराना था खाली, लेकिन वहां बना दी गयीं कोठी। कैंट बोर्ड के अफसर खुद यह तर्क भी देते हैं कि हाईकोर्ट ने 210-बी में बनायी गयी सभी कोठियों को ध्वस्त किए जाने का आदेश दिया है। इसी के चलते कैंट बोर्ड प्रशासन 24 अगस्त 2022 को अवैध रूप से इस बंगले में काविज लोगों को मुनादी करा कर 48 घंटे के भीतर बंगला खाली कर दिए जाने तथ ध्वस्तीकरण की चेतावनी देता है। छह कोठी मालिकों को कैंट बोर्ड की तरफ से नोटिस भेजकर इन्हें खाली करने को कहा गया, लेकिन चेतावनी देने के बाद कैंट बोर्ड के अफसर खुद कुंभकर्णी नींद में सो जाते हैं। बंगला नंबर 210 बी में 10.5 एकड़ में आर-आर मॉल और 62 कोठियां बनीं थीं। कैंट बोर्ड का तर्क है कि ये सब अवैध निर्माण है और हाईकोर्ट ने इनके ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे। वर्ष 2016 में 9 जुुलाई को आरआर मॉल के ध्वस्तीकरण के दौरान दीपक शर्मा, हनी शर्मा सहित चार लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 में 24 अप्रैल को आरआर मॉल के आगे की दुकानें तोड़ीं गईं। मांगी फोर्स, होगी कार्रवाई: मुनादी कराने के बाद सीईओ ज्योति कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही 62 कोठियों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होनी है। इसके लिए 48 घंटे पूर्व मुनादी करा दी है। डीएम, एसएसपी को पत्र लिख मजिस्ट्रेट और पुलिस फोर्स भी मांगी गई है। यह बात अलग है कि मुनादी कराने वालों ने उसके बाद कोई कार्रवाई की हो या फिर ध्वस्तीकरण के लिए फोर्स के लिए एसएसपी से पैरवी की हो, ऐसी भी कोई जानकारी नहीं। 800 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति: बंगला नंबर 210 बी की कोठियों में करीब एक हजार लोग रहते हैं। इस संपत्ति की कीमत बाजार में करीब 800 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यहां बनी कोठियों में 600 से ज्यादा लोग रहते हैं। स्टाफ पर कार्रवाई क्यों नहीं: यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने कैंट बोर्ड को स्पष्ट आदेश दिए थे कि जनता के हित को देखते हुए कार्रवाई करें। लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट ने उन अफसरों-कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश भी दिए थे जिनके कार्यकाल में यह निर्माण हुए थे, लेकिन कैंट बोर्ड उन पर कार्रवाई करने की बजाय यहां रहने वाले लोगों को नोटिस भेजकर परेशान कर रहा है। कहां जाएंगे 600 लोग
बंगला नंबर 210बी में रहने वालों का कहना है कि हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि यहां पर कोई निर्माण ध्वस्त नहीं किया जाएगा। प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के साथ ही निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई थी। अगर कैंट बोर्ड ने यहां निर्माण ध्वस्त करता है तो यहां रहने वाले छह सौ लोग कहां जाएंगे। तमाम केस पेंडिंग: यहां रहने वालों का यह भी कहना है कि 29 जनवरी 2014 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आदेश दिया था कि कैंट बोर्ड जनता के हितों को देखते हुए साल 2006 के अनुसार कार्रवाई करे। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट, लखनऊ और सुप्रीम कोर्ट में तमाम केस पेंडिंग हैं। ऐसे में कैंट बोर्ड ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कैसे कर सकता है। अगर ऐसा किया गया तो यहां रहने वाले परिवार आत्मदाह करने को मजबूर होंगे। कैंट बोर्ड अक्सर नोटिस जारी करके यहां रहने वाले को परेशान करता रहता है। ये है मामला: कैंट बोर्ड ने 9 जुलाई 2016 को बंगला नंबर 210 बी के आरआर माल के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी। तब मलबे में दबकर चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके चलते पूरा अभियान नहीं चल पाया था। ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें रह गईं थी। जनवरी महीने में आठ दुकानों की सील तोड़कर व्यापारियों ने अपना सामान रख लिया था। इसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। अप्रैल महीने में भारी पुलिस फोर्स के साथ कैंट बोर्ड की टीम ने बंगला नंबर 210बी की दुकानों को ध्वस्त कर दिया था। तत्कालीन सीईओ ने उस वक्त दुकानों के बाद 210 बी बंगले में बनी कोठियों और दूसरे निर्माणों को भी ध्वस्त करने की बात कही थी। राहत का प्रयास: कैंट बोर्ड की निवर्तमान उपाध्यक्ष व भाजपा नेत्री बीना वाधवा का कहना है कि वह 210-बी में रहने वालों के साथ हैं। एक भी आवासीय भवन को टूटने नहीं देंगे। हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में ये भी कहा है कि कैंट बोर्ड इस मामले में अपना निर्णय ले सकता है।