माना मेयर साहब अंजान है और अफसर, मेरठ नगर निगम के मेयर को हो सकता है जानकारी न हो। वो इस बात से अंजान हो कि मच्छर मारने के लिए जो एंटी लार्वा कैमिकल छिडका जाता है वो साफ व रूके हुए पानी में छिड़का जाता है। लेकिन शुक्रवार को भाजपा नेताओं व पार्षदों तथा नगर निगम के अफसरों की फौज के साथ शहर के आबूनाला का निरीक्षण करने को पहुंचे महापौर ने गंदगी से बज बजाते और पोलीथिन की पन्नियों व कूडे कचरे से बुरी तरह से चोक आबूनाले पर जब मच्छरों को मारने के नाम पर एंटी लार्वा छिड़कना शुरू किया तो हैरानी जरूर हुई। क्योंकि डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का लार्वा तो साफ व रूके हुए पानी में पनपता है। जहां नाला पोलीथिन की पन्नियों से चोक हो, पानी गंदा हो वहां डेंगू व मलेरिया फैलाने वाला मच्छर जहां तक जानकारी है वहां नहीं होता है। यह समझा जा सकता है कि संभवत मेयर है कि मेयर व उनके साथ चल रहे भाजपा नेताओं व पार्षदों को इस सामान्य ज्ञान की जानकारी न हो, लेकिन उनके साथ चल रहे नगर निगम सफाई विभाग के अफसरों को भी यह बात पता न हो यह बात गले नहीं उतर रही है। अगर नगर निगम के सफाई विभाग के अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है तो फिर उनकी काबलियत पर सवाल बनता है और यदि जानकारी होते हुए उन्होंने एंटी लार्वा छिडक रहे मेयर को यह जानकारी नहीं तो भी गलत है। खैर इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह बहस नहीं लेकिन एंटी लार्वा वही छिडकाव किया जाता है जहां पानी साफ पानी में मच्छर मौजूद हों, जहां पर पन्नियों की वजह से नाला जाम हो, वहां आमतौर पर कभी एंटी लार्वा का छिडकाव होते देखा नहीं गया है।