मंत्रालय ने की एई की सर्विस बुक तलब, साल 2005 में कैंट अधिनियम के कायदे कानूनों को ताक पर रखकर प्रमोशन हासिल करने वाले मेरठ कैंट बोर्ड के एई पीयूष गौतम के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। रेड पेन से एडवर्स एंट्री के बाद अब रक्षा मंत्रालय ने एई की सर्विस बुक तलब कर ली है। जिसके चलते जानकारों का कहना है कि आने वाले दिन एई के लिए मुसीबत भरे हो सकते हैं। यह पूरा मामला साल 2005 से संबद्ध है, जब मध्य कमान के एक बड़े अफसर से कनेक्शन के चलते कैंट अधिनियम के कायदे कानून ताक पर रखकर ( कैंट अधिनियम में कहीं भी एई की पोस्ट पर प्रमोशन का प्रावधान नहीं है। एई की पोस्ट पर डायरेक्ट रिक्रूटमेंट की व्यवस्था अधिनियम में दी गई है) जेई से एई का प्रमोशन दिया गया था। इस मामले का सबसे बड़ा पेंच यह है कि मध्य कमान के जिन तत्कालीन जीओसी के नाम पर यह सारा खेल खेला गया, उन्हें भनक तक नहीं लगने दी गयी। साल 2005 की एक बोर्ड बैठक में कुछ शर्तों के साथ जेई से एई का प्रमोशन दे दिया गया। प्रधान निदेशक मध्य कमान की ओर से तब यह बाध्यता तय की गयी थी कि प्रत्येक तीन माह में पीयूष गौतम की एफिशिएन्सी रिपोर्ट माध्य कमान के प्रधान निदेशक को भेजी जाएगी। एफिशिएन्सी रिपोर्ट तय करेगी कि एई का प्रमोशन नियमित रखना है या नहीं। लेकिन प्रमोशन देने वाले मेरठ कैंट बोर्ड के अफसरों ने प्रधान निदेशक की ओर से लागू की गयी बाध्यता की परवाह नहीं की। एई का प्रमोशन दिए जाने के बाद कभी भी पीयूष गौतम की एफिशिएन्सी को लेकर काेई रिपोर्ट प्रधान निदेशक को भेजे जाने की जानकारी नहीं दी। लेकिन अब यह मामला तूल पकड़ गया है रेड पेन से एडवर्स एंट्री के बाद रक्षा मंत्रालय ने एई की सर्विस बुक तलब कर ली है। ऐसा भी सुनने में आया है कि इससे पहले भी तत्कालीन सीईओ एसएस पुजारी मेडम ने भी पीयूष गौतम पर पैनल्टी लगाई थी। बोर्ड के बड़े साहब का वरद हस्त होने के कारण कोई भी कार्रवाई संभव नजर नहीं आती। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में जद में कमांडर व सीईओ जैसे अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय हो जाएगी।