एमडीए के ड्रोन की तलाश

एमडीए के ड्रोन की तलाश
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एमडीए के ड्रोन की तलाश, चार माह पूर्व मेरठ के अवैध निर्माणों की तलाश में मेरठ विकास प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अफसरों द्वारा उड़ाए गए ड्रोन की तलाश है। महानगर में अवैध निर्माण व अवैध कालोनियों की तलाश के नाम पर भाड़े पर ड्रोन लाकर उड़ाने का एलान बीते साल 13 अक्तूबर को मेरठ विकास प्राधिकरण सचिव ने किया था। ड्रोन उड़ा कर अवैध निर्माणों की तलाश का आइडिया किस का था यह कहना तो मुनासिब नहीं होगा या फिर एमडीए के सचिव ही इस पर बेहतर ढंग से रोशनी डाल सकते हैं, लेकिन ड्रोन उड़ाने के उस एलान से एक बात तो साबित हो गयी थी कि मेरठ विकास प्राधिकरण के जिन जोनल अधिकारियों, अवर अभियंताओं व मैट व फिल्ड यूनिट मसलन जोन के स्टाफ पर सूबे की जो सरकार भारी भरकम खर्च कर रही है वो स्टाफ अवैध निर्माणों पर नजर रखने के नाम पर कम से कम अपनी डयूटी तो ठीक से नहीं कर रहा है। शायद तभी सचिव को अवैध निर्माणों तक पहुंचने के लिए ड्रोन का सहारा लेना पड़ा होगा। अन्यथा जोन का स्टाफ इसीलिए रखा जाता है ताकि अवैध निर्माणों पर नजर रखी जा सके। जोन में जो भी निर्माण हो उसका अनिवार्य रूप से एमडीए से नक्शा पास हो। इससे दो फायदे होंगे। पहला तो यह कि एमडीए की मार्फत सूबे की सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू मिल सकेगा और दूसरा यह कि जब एमडीए के नक्शे के मुताबिक लोग निर्माण करेंगे तो महानगर के बेतरकीब इलाकों को व्यवस्थित किया जा सकेगा। लेकिन ऐसा हो न सका। भले ही एमडीए के अधिकारी ड्रोन उड़ाने को लेकर दावे कुछ भी क्यों न करते रहे हों। –बेहद खर्चीला था ड्रोन उड़ाने का आइडिया-:-अवैध निर्माणों और अवैध कालोनियों की सुरागकशी का आइडिया बेहद खर्चीला था। जानकारों की मानें तो ड्रोन का चार दिन का भाड़ा ठीकठाक रकम बैठता था।  एमडीए के सभी जोन में एक-एक जोनल अधिकारी। जोनल अधिकारी के नीचे काम करने वाले अवर अभियंता और अवर अभियंता की मदद के लिए मैट। सरकार से इनकी सेलरी और फिर ड्रोन जैसे आइडिया। कुल मिलाकर यही कहा जाएगा कि ड्रोन सरीखे आइडिया सूबे की सरकार पर राजस्व का अतिरिक्त बोझ बढाने के अलावा कुछ नहीं। क्योंकि जहां तक अवैध कालोनी और निर्माण की बात है तो वो तो बादस्तूर जारी हैं। यहां यह भी उल्लेखनी है कि एक दो नहीं बल्कि चार ड्रोन भाड़े पर लिए गए थे। इनसे कितने अवैध निर्माण व अवैध कालोनियां चिन्हित की गई और चिन्हित की गयी अवैध कालोनियों व निर्माणों पर क्या कार्रवाई की गयी  एमडीए अफसर यदि इसकी भी जानकारी दें तो तो प्रमुखता से उसको भी प्रकाशित किया जाएगा।  शहर के रोहटा रोड, पल्लवपुरम, किला रोड, गढ़ रोड पर सबसे अधिक अवैध निर्माण है। इसके देखते हुए 15 दिनों में निर्माणों की प्रगति रिपोर्ट तैयार किए जाने तथा रिपोर्ट को प्राधिकरण अध्यक्ष के समक्ष रखे जाने की बात भी कही गयी थी। तब एमडीए के अधिकारियों ने यह भी कहा था कि  अवैध निर्माणों पर लगातार कार्रवाई होने के बावजूद भी कोई असर नहीं पड़ रहा है। अब ड्रोन सर्वे से आसानी से क्षेत्रों में बन रहे आवासीय, व्यावसायिक निर्माणों पकड़ में आ सकेंगे। इसके बाद सूूची बनाकर कार्रवाई की जाएगी।  किराये पर ड्रोन लेकर एमडीए अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने का दावा किया था।। इसके लिए सभी अवर अभियंताओं को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन एक दिन में ही एक ड्रोन का किराया साढ़े तीन हजार रुपये बताया गया था साथ ही । चार ड्रोन किराये पर लेनेे की व्यवस्था तय की गई थी। इतनी भारी भरकम और लंबी कवायद का क्या परिणाम निकला यह तो एमडीए प्रशासन ही बता सकता है या फिर वो फाइल इस कवायद का राज खोल सकती हैं जिसमें ड्रोन उड़ाने को लेकर सारी लिखा पढ़ी दर्ज है। यदि एमडीए प्रशासन ड्रोन प्रकरण पर धारा न्यूज द्वारा उठाए गए सवालों व शंकाओ का जवाब दे दे तो उसको भी समाचार पत्र में प्रमुखता से स्थान दिया जा सकेगा।

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