एमडीए अफसरों की लाचारी, दौराला के भूमाफिया का अवैध निर्माण….स्थान मेरठ विकास प्राधिकरण का जोन बी-2 रुडकी रोड पीएसी के समीप… स्टेटस में पहला लेंटर व दूसरा लेंटर है डाला जा चुका… ना कोई नक्शा ना ही अभी तक एमडीए की ओर से किसी प्रकार की हरकत…अर्धसत्य की बात करें तो सब कुछ जानते हुए भी जोन-बी-2 के जोनल अधिकारी विमल सोनकर व अवर अभियंता वेद प्रकाश अवस्थी एक्शन मोड में नजर नहीं आ रहे हैं या फिर यह मान लिया जाए कि अवैध निर्माणों के लिए एमडीए अध्यक्ष/मंडलायुक्त तथा उपाध्यक्ष के प्रयासों पर पलीता लगाने के ठाने हैं साथ ही सूबे की सीएम योगी की सरकार के अवैध निर्माणों के खिलाफ शुरू की गई मुहिम के सामने आस्तीन ताने खड़े हैं। दौराला के इस भूमाफिया का यह कोई पहला अवैध कांपलैक्स नहीं है। लेकिन इस अवैध कांप्लैक्स से इतना तो साबित हो गया कि अवैध निर्माणों के खिलाफ जब जब कार्रवाई की बात होगी तब-तब पूरा एमडीए प्रशासन का कद इस भूमाफिया के घुटनों तक ही नजर आएगा।
कार्रवाई के इंतजार में बिक रहा है रामा कुंज:
एमडीए के जोन बी सोफीपुर हिन्दू शमशान घाट से सटाकर एक खेत में बनाये गए रामा कुंज पर ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई की हिम्मत तो अवैध निर्माणों को जमीदोज करने का एलान भर करने वाले एमडीए के अफसर दिखा नहीं सके। एमडीए प्रशासन की बेबसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकात है कि जेसीबी का इंतजार करते-करते अवैध रामा कुंज अब बिकने काे मजबूर है। खेतों में बनाए गए इस बड़े अवैध कांप्लैक्स की रंगाई पुताई कर दी गयी है। दुकानों का सौदा किया जा रहा है। रामा कुंज की बदौलत भूमाफिया की खजाने का साइज और बढ़ यह बात अलग है कि सूबे की योगी सरकार के राजस्व मेंे एक पाई नहीं आयी। इसके लिए रामा कुंज अवैध मार्केट बनाने वाला भूमाफिया नहीं बल्कि एमडीए के वो अफसर जिम्मेदार हैं जिन्हें योगी सरकार ने मेरठ में अवैध निर्माणों पर कार्रवाइ करने या फिर उनसे कंपाउंडिंग की रकम वसूल कर सरकारी खजाने की सेहत को ठीक करने को भेजा है, लेकिन ऐसा हो न सका।
फिर ना कहना बताया नहीं:
एमडीए के जोन बी-3 में जिस अवैध निमाण का जिक्र यहां किया जा रहा है, उसका काम बेहद तेजी से निपटाया जा रहा है। यह बात किसी भी सूरत गले नहीं उतरती कि एमडीए के जोनल स्टाफ और कार्यालय में बैठने वाले अफसरों को यह अवैध निर्माण नजर नहीं आया हाेगा। रूडकी रोड पर मेन रोड पर यह अवैध कांप्लैक्स बनाया जा रहा है। इसको बनाने वाले भूमाफिया के एक करीबी ने ही बताया कि न उन्हें न तो एमडीए से नक्शा पास कराने की जरूरत है और ना ही किसी दूसरी सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने की जरूरत है। उनका काम तो बस सेटिंग के बूते चलता है। वो तर्क देते हैं कि यह कोई पहला कांप्लैक्स नहीं है इससे पहले इसी रूडकी रोड पर श्रीराम प्लाजा कांप्लैक्स वहां तो जो जगह बेसमेंट की वाहनों की पार्किंग के लिए छोड़ी गई थी उसमें भी दुकानें बना कर बेच दी गयी हैं। इसी तर्ज पर पल्लवपुरम में भी बनाए गए कांप्लैक्स में किसी मानक के पालन करने की जरूरत नहीं समझी गयी। और सोफीपुर हिन्दू शमशान घाट के बगल में अवैध रामा कुंज के सफल प्रयोग के बाद तो एमडीएम मेें बर्चस्त स्थापित मान लेना चाहिए। रामा कुंज का अवैध निर्माण जब शुरू ही किया गया था तभी इसकी जानकारी एमडीए के उच्च पदस्थ को हो गयी थी, लेकिन किसी भी अफसर की इतनी हिम्मत नहीं हो सकी कि उस ओर आकर एक बार झांक भी ले। जानकारों का कहना है कि रामा कुंज मामले में सबसे ज्यादा मदद एमडीए के जोनल स्टाफ ने की। जोनल स्टाफ ने ही मामले को पूरी तरह से मैनेज कराया। मैनेज कराने के अलावा यह भी बताया कि बड़े-बड़े अवैध निर्माणों को जेसीबी के ध्वस्तीकरण से कैसे दूर रखा जाता है। उन्होंने बताया कि जितना भी अवैध निर्माण पूरा हो जाए उसकी हाथों हाथ रंगाई पुताई कराते रहो। दुकानों पर शटर और फ्रंट पर किसी के भी नाम का बोर्ड लगा दो। उसके बाद यदि एमडीए के स्तर से किसी प्रकार की ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई की आशंका हो तो उक्त तमाम हथकंड़ों को अपनाकर साबित कर दो की अवैध निर्माण पुराना है। काफी पहले दुकानें बनवायी गयी थीं। और अब कंपाउंडिंग के लिए तैयार हैं। जहां तक कंपाउंडिंग की बात है तो इस प्रक्रिया में लंवा वक्त लगता है। इसलिए कंपाउंउिंग के लिए केवल आवेदन किया जाता है कराया नहीं जाता। ये तमाम वो हथकंड़े हैं जिनसे हींग लगे ना फिटकरी और रंग भी चोखा आता है। बस करना एमडीए के जोनल स्टाफ या फिर कार्यालय में बैठने वाले कुछ अफसरों को खुश भर करना पड़ता है ज्यादा कुछ नहीं। मसलन यदि अवैध कांप्लैक्स में कुल सौ दुकानें बनायी जाती हैं तो उनमें से यह मान लीजिए की एक दुकान की कीमत मात्र अफसरों से सेटिंग में खर्च होनी है। इसके अलावा कुछ करने की जरूरत नहीं। लेकिन एमडीए के उच्च पदस्थ अधिकारी इस मामले में यह भी ध्यान रखे कि मामला केवल सुर्खी भर नहीं है, इसकी जानकारी सीएम कार्यालय व महकमे के प्रमुख सचिव को भी मय सबूत के साथ भेजी गयी है। बाकि अफसर खुद समझदार हैं, इसलिए बेहतर यही हाेगा कि दौराला के भूमाफिया का यह अवैध निर्माण बगैर देरी कराए गिरा दिया जाए।