महात्मा गांधी होते तो होते शर्मसार

महात्मा गांधी होते तो होते शर्मसार
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महात्मा गांधी होते तो होते शर्मसार, जीएलआर में अश्फाक जमानी बेगम के नाम से दर्ज  मेरठ छावनी का वेस्ट एंड रोड बंगला 210-ए – जहां आज विवाह शादी आयोजनों के दौरान जाम से जाम टकराना सामान्य सी बात है। इस बंगले का जिक्र इसलिए नहीं किया जा रहा है कि जंगे आजादी के दौरान क्रांतिकारियों की बरतानिया हुकूमत के खिलाफ गतिविधियों का यह बंगला में वो तमाम चीजें की गयी है जो कैंट एक्ट के खिलाफ है। मसलन कैंट एक्ट का उल्लंघन है। जिक्र इसलिए भी नहीं किया जा रहा है कि इस ओल्ड ग्रांट के इस बंगले का रिहायशी स्वरूप पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। यहां चेंज आफ परपज जो कैंट एक्ट में जिसको सबसे बड़ा ऑफेंस माना जाता है वो कई बार किया गया। चेंज ऑफ परपज ही नहीं बल्कि यहां सब डिविजन ऑफ साइट किया गया। यह भी कैंट एक्ट में चेंज ऑफ परपज की तर्ज पर ही कैंट एक्ट का गंभीर उल्लंधन माना जाता है। सबसे बड़ा उल्लंघन इस ओल्ड ग्रांट का बंगला कैसल व्यू जिसको नवाब का भी बंगला कहा जाता है बड़े स्तर पर अवैध निर्माण कर लिए गए इसलिए भी इसका जिक्र रक्षा मंत्रालय को भेजी गयी इस पोस्ट में नहीं किया जा रहा है। बात इससे भी गंभीर है जिसकी वजह से कैसल व्यू 210-ए वेस्ट एंड रोड मेरठ छावनी का जिक्र किया जा रहा है। जिस दौर की बात की जा रही है वो उस वक्त का दौर था जब मुल्क का बरतानिया हुकूमत से आजादी दिलाने की जंग चरम पर थी। बरतानिया हुकूमत आजादी के लिए जद्दोजहद कर रहे हमारे नेताओं की जासूसी कर रही थी। वो दौर था साल 1930 का। दिल्ली से मेरठ करीब होने की वजह से तब कैसल व्यू महात्मा गांधी, लियाकत अली *( पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री) और उस स्तर के दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों की गतिविधियों का केंद्र कैसल व्यू बना हुआ था। इस बंगले में तमाम स्वतंत्रा सैनानियों की गुप्त मिटिंग हुआ करती थीं। पहली बार जब महात्मा गांधी मेरठ आए थे और मेरठ में वह मेरठ कालेज के बाद वहां से पालकी कैसल व्यू पहुंचे थे तब उन्होंने इस बंगल में जमीन पर अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जमीन पर बैठकर पत्तल में भोजन किया था। यह बात बाकायदा इतिहास के पन्नों में दर्ज है। पूरी दुनिया जानती है कि महात्मा गांधी ने मध निषेध का संदेश दिया था। राष्ट्रपिता के कदम जिस बंगले में पड़े उसको बजाए एतिहासिक धरोधर बनाकर संजोकर रखने के तमाम कायदे कानूनों को बूटों तले रौंदते हुए 210-ए में वो सब कुछ किया गया जो कैंट एक्ट का उल्लंघन है। कौन अफसर इसके लिए जिम्मेदार है यह बहस का विषय नहीं। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि बापू यदि आज जीवित होते तो जहां उन्होंने जमीन में बैठकर पत्तल में सजाकर भोजन किया था, उस इमारत को बजाए एतिहासिक धरोहर बनाने के अवैध रूप से विवाह मंडप में तब्दील कर वहां होने वाले आयोजनों में जाम टकराते देखकर जरूर शर्मसार होते। लेकिन जिनको शर्मसार होना चाहिए शर्म है कि उन्हें आती नहीं।

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