कैंट बोर्ड: तख्ता पलट जख्म हरे

कैंट बोर्ड: नहीं होंगे चुनाव
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कैंट बोर्ड: तख्ता पलट जख्म हरे, देश की अन्य छावनियों के साथ ही मेरठ कैंट बोर्ड के चुनाव की तारीख का भी एलान कर दिया गया है। चुनाव की तारीख के साथ ही बोर्ड की राजनीति के शौकीनों की बांछे खिल गयी हैं, लेकिन साथ ही कैंट बोर्ड में तख्ता पलट के पुराने जख्म भी हरे गए हैं। यह पूरा मामला केवल कैंट बोर्ड की राजनीति से जुड़ा भर नहीं है, बल्कि इसका सीधा कनेक्शन महानगर भाजपा संगठन और तख्ता पलट प्रकरण को लेकर महानगर भाजपा द्वारा बनायी गयी जांच कमेटी से जुड़ा है। इस पूरे मामले की क्रॉनॉलॉजी समझ लीजिए। दरअसल हुआ यूं था कि विगत 17 फरवरी साल 2021 को कैंट बोर्ड में भाजपा के विपिन सोढी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। भाजपा के महानगर अध्यक्ष का कहना था कि विपिन सोढ़ी बोर्ड में भाजपा के सदस्य थे, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले भाजपाइयों ने इसके लिए महानगर संगठन से अनुमति नहीं ली जो अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। इतना ही नहीं अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले तमाम सदस्यों ने भाजपा समन्वय समिति की ओर से मेरठ कैंट बोर्ड में प्रत्याशी बनाए गए विपिन सोढी के खिलाफ मतदान भी किया। इसका नतीजा यह हुआ कि कैंट बोर्ड में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी विपिन सोढी हार गए। संगठन की बुरी किरकिरी हुई। इस मामले की गूंज भाजपा के प्रदेश संगठन तक सुनाई दी थी। दरअसल विपिन सोढी ने अपने आरएसएस कनेक्शन के चलते यह मामला प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचा दिया था। जिसके बाद भाजपा के प्रदेश संगठन के महामंत्री अश्वनी त्यागी के निर्देश पर महानगर भाजपाध्यक्ष मुकेश सिंहल ने संगठन के पूर्व महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन कर दिया था। इस कमेटी में राखी त्यागी सदस्य राज्य महिला आयोग, महेश बाली संगठन के महानगर महामंत्री व  राजकुमार सोनकर महानगर महामंत्री को शामिल किया गया। इस जांच कमेटी की रिपोर्ट 10 मार्च 2022 को महानगर अध्यक्ष ने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष को भेज दी। इस रिपोर्ट में कैंट बोर्ड में विपिन सोढी का तख्ता पलट के लिए अनिल जैन, रिनी जैन, मंजू गोयल, नीरज राठौर व गौरव गोयल पुत्र मंजू गोयल काे दोषी मानते हुए महानगर संगठन के उक्त सभी के खिलाफ अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवाई की सिफारिश की। संगठन के सूत्रों की मानें तो उक्त प्रकरण की फाइल की गर्द एक बार फिर से झाड़ी जा रही है। यदि सब कुछ तयशुदा रणनीति के तहत हुआ तो कुछ के लिए निश्चित रूप से संगठन से बुरी खबर मिल सकती है।

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