पायल जैन का जनून संवार रहा जिंदगी, मेरठ ही नहीं उनकी इस छवि की चर्चा अब दूर-दूर तक सुनाई देने लगी है।पायल जैन का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। पुरानी कहावत है जिसका कोई नहीं उसका खुदा होता है, लेकिन मेरठ में जिसका कोई नहीं उसकी मदद को पायल जैन हैं ना, लोग अब यह कहने लगे हैं। निर्धन की बेटी की शादी कराना तो मानों पायल का जुनून बन गया है। पिछले दिनों में तीन बेटियों की शादी करा चुकी हैं। ना कोई शोरशराब ना ही दिखावा। न जाने किस मिट्टी से परमात्मा ने पायल को गढा है, वर्ना लोग तश्तरी भी दान करते हैं तो पहले परिवार का नाम गुदवा देते हैं। पायल जैन की बात करें तो उन्हें तो इस दिखावे से चिढ़ सी है। वो कहती हैं कि जब ईश्वर देते समय कोई दिखावा नहीं करते तो इंसान दिखावा क्यों करें। पायल जैन के इस प्रकार के विचार उन लोगों को विचलित करते हैं जो समाज सेवा के नाम पर दुकान चला रहे हैं। धर्म को धंधा बनाए हैं। माफ करें यदि किसी को लगा हो, यह सच है कि पायल जैन को दिखावा कतई पसंद नहीं। गरीबों की उनकी रसोई की चर्चा तो दूर-दूर तक है। पिछले दिनों उनके साथ एक चमत्कार हुआ। ऐसा प्रतित होता है कि महादेव की उन पर असीम कृपा हो गयी है, तभी तो गढमुक्तेश्वर में जब वह परिवार संग नौका विहार कर रही थीं, अचानक पत्थर के नंदी तैरते हुए उनके पास आ गए। आमतौर पर पत्थर तो पानी में डूब जाता है। लोग इसको एक मंदिर के लिए महादेव की ओर से पायल जैन के लिए दायित्व भी मान रहे हैं। उस मंदिर की प्रतिमा संभवत कुछ खंडित हो गयी है। मेरठ के रेलवे रोड पर यह मंदिर लोगों ने इस संवाददाता को बताया है। समाज के निर्धन व कमजोर लोगों की मदद का दूसरा नाम या कहें पर्यायवाची अब पायल जैन को कहा जाने लगा है। लेकिन प्रचार को उचित नहीं मानतीं, दूर रहती हैं।