पिया की लंबी उम्र के लिए रखा ब्रत-खोला चांद देखने के बाद
-अविववाहित कन्याओं ने भी अच्छे पति की कामना के लिए रखा ब्रत
-पतियों ने जमकर करायी खरीदारी, बाजार भी रहे गुलजार, पूजा कर निकाला बायना
मेरठ। पिया की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागनों ने ब्रत रखा। दिन भर बगैर कुछ खाए पिए रहीं सुहागनों ने देर शाम चांद के दीदार के बाद ही पति के हाथों जल ग्रहण कर ब्रत खोला। वहीं दूसरी ओर कुछ कुंआरी लड़कियों ने भी अच्छे पति की कामना करते हुए ब्रत रखा। देर शाम को चंद्रमा दिखाई देने पर सुहागिनों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा से उसे अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण किया। पर्व वाले दिन भी बाजारों में खूब रौनक रही। सुहागिनों ने मंदिरों में पूजा-अर्चना की।बाद में सुहागिनों ने बायना निकालकर अपने बुजुर्गो को दिया और उनसे आशीर्वाद लिया।
चारों ओर करवा चौथ की धूम:
कई मुहल्लों में तो सुहागिनों ने एकत्र होकर करवाचौथ की पूजा कर यह त्योहार मनाया। सुहागिनों ने करवे को अच्छी तरह से सजा कर अपने सुहाग की रक्षा करने के लिए मनोकामना की। करवे का पूजन करने के अवसर पर त्योहार मनाए जाने की कहानी भी सुनाई गई। कुछ इलाकों में महिलाओं ने करवे की पूजा करने के बाद एक दूसरी को मेहंदी भी लगाई। सुहागिनों ने बताया कि करवा चौथ की कथा सुने बिना व्रत अधूरा ही रहता है। उन्होंने आज के पवित्र दिन अपने सुहाग की रक्षा के लिए भगवान से वरदान मांगा।
अच्छे पति की कामना कर रखा ब्रत:
करवाचौथ के चलते बाजारों में मेहंदी लगवाने के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही। उधर ब्यूटी पार्लरों में दिनभर महिलाओं की भीड़ रही। खुद कइयों के पति उन्हें सजने संवरने के लिए ब्यूटीपार्लर लेकर पहुंचे थे। महानगर के तमाम प्रमुख ब्यूटी पार्लरों में आज खूब रौनक रही। सदर, बोम्बे बाजार, शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट, वेस्टर्न कचहरी रोड, गंगा नगर समेत शहर के तमाम प्रमुख ब्यूटी पार्लरों के लिए आज का दिन धन वर्षा का रहा। इन ब्यूटी पार्लरों के बाहर अजीब नजारा था। पत्नियां भीतर मेकअप करा रही थीं और उनले पति बाहर स्कूटी, बाइक और गाडियों मे बैठकर इंतजार कर रहे थे। कुछ पति छोटे बच्चों को संभाल रहे थे।
दिन मे सुनी कथा
महिलाओं ने पंडितों बुजुर्ग महिलाओं से करवा चौथ की कथा सुन पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा के अनुसार यह व्रत सती सावित्री के समय से शुरू हुआ था। जिस समय यमराज ने सत्यवान के प्राण हर लिए तो उस समय सत्यवान और सावित्री मिट्टी के पात्र से पानी पीने की तैयारी में थे। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की चौथ थी। लेकिन पानी ग्रहण करने से पहले ही यमराज सत्यवान के प्राण हर कर ले गए। तब सावित्री भी उनके पीछे पीछे गई और यमराज से अपने पति को बचा कर ले आई। उसके बाद ही सावित्री ने मिट्टी के पात्र से जल ग्रहण किया। तभी से यह परंपरा चली रही है।
चांद देख कर खोला व्रत :
देररात चांद का दीदार कर और पतियों के हाथों से जल ग्रहण करने के बार सुहागिनों ने व्रत खोला। इससे पहले दिनभर भूखी प्यासी रह व्रत का संकल्प निभाया।करवा चौथ का पर्व उत्साह और परंपराओं के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने सोलह श्रृंगार किया। पति की दीघार्यु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखा। देर शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजन कर व्रत खोला। साज-श्रृंगार के साथ महिलाओं और दंपतियों में सेल्फी फोटो लेने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। दंपतियों ने अपने फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर करवा चौथ की शुभकामनाएं दीं।
घर में जश्न सरीखा माहौल
सुबह से ही महिलाओं में करवा चौथ को लेकर उत्साह देखने को मिला। घरों में दोपहर से ही पकवान बनाने का सिलसिला शुरू हो गया। शाम होते ही पूजन की तैयारियां शुरू कर दी गईं। सुहागिनों ने शादी के जोड़े या नई साड़ी, लहंगा पहन दुल्हन की तरह श्रृंगार किया। सूर्य ढलते ही घरों की छतों पर रौनक बिखर गई। महिलाओं के साथ ही उनके पति, बच्चे आदि छतों पर पहुंचकर पूजन की तैयारियां कराने लगे। महिलाएं चांद निकलने का इंतजार करने लगीं। चांद की दीदार होते ही महिलाओं ने पहले चंद्रदेव को अर्घ्य दिया और उसके बाद छलनी में दीपक जलाकर पहले चंद्रमा के दर्शन किए। बाद में पति का दीदार किया। पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला। शहर के कुछ इलाकों में सामूहिक रूप से करवा चौथ समारोह का आयोजन किया गया।