पुलिस विवि विज्ञान वर्कशॉप, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मेरठ के आदेशानुसार आज गुरूवार को मेरठ की पुलिस लाईन्स स्थित सभागार में सेक्सुअल एसॉल्ट किट एवं क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन, एविडेंस कलेक्शन, फॉर्वर्डिंग, हैंडराइटिंग, डॉक्यूमेंटेशन, डीएनए, बैलेस्टिक, वाहनों के रेस्टोरेशन इत्यादि महत्वपूर्ण विषयो पर एक दिवस की कार्यशाला/प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । उक्त कार्यशाला/प्रशिक्षण में विधि विज्ञान प्रयोगशाला से डॉ॰ सुधीर कुमार प्रभारी संयुक्त निदेशक, डॉ॰ राजेंद्र सिंह वैज्ञानिक अधिकारी (डीएनए अनुभाग प्रभारी), डॉ॰ अरविंद कुमार वैज्ञानिक अधिकारी (बैलेस्टिक अनुभाग प्रभारी), डॉ॰ शफीक अहमद ज्येष्ठ वैज्ञानिक (भौतिकी अनुभाग प्रभारी) द्वारा जनपद के थानों से आये विवेचकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी । उक्त कार्यशाला/प्रशिक्षण के दौरान श्री अनित कुमार, पुलिस अधीक्षक, अपराध, फील्ड यूनिट प्रभारी मय टीम उपस्थित रहे । उक्त कार्यशाला/प्रशिक्षण से सम्बन्धित समस्त व्यवस्थायें श्री मुकेश सिंह रावत, प्रतिसार निरीक्षक, पुलिस लाईन्स, मेरठ द्वारा पूर्ण करायी गयी । तमाम विशेषज्ञों ने सेक्सुअल एसॉल्ट किट एवं क्राइम सीन को करने के दौरान क्या-क्या सावधानी बरती जानी चाहिए तथा अपराधी तक पहुंचने के लिए किन खास बातों का ध्यान जांच अधिकारी को रखना चाहिए, इस पर बेहद बारीकि व सधे हुए शब्दों में जानकारी दी गयी। इसके अलावा जिन मामलों में हैंडराइटिंग केस में प्रमुख आधार या कहें केस की मजबूती का मुख्य साक्ष्य होती है, ऐसे मामलों को किस प्रकार से सावधानी से आगे बढ़ाना चाहिए यह भी बताया गया। दरअसल धोखाधड़ी के जितने भी केस होते हैं उनमें हैंडराइटिंग का विषय अवश्य आता है। इसके अलावा आत्महत्या सरीखे मामलों में जहां सोसाइट नोट मिलता है उसमें भी हैंडराइटिंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्या-क्या सावधानी केस को आगे बढ़ाने में रखनी चाहिए इसकी भी जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि कई केसे ऐसे होते हैं जो पुलिस जांच अधिकारी के सामने आते हैं और उनमें हैंड राइटिंग बेहद अहम होती है। कई बार ऐसेा हुआ है कि हैंडराइटिंग को बेस कर केस को हल किया गया है। वर्कशॉप बेहद उपयोगी साबित हुई।