सिद्धि विनायक चतुर्थी 31 से 9 तक

सिद्धि विनायक चतुर्थी 31 से 9 तक
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सिद्धि विनायक चतुर्थी 31 से 9 तक, सिद्धि विनायक चतुर्थी गणेश उत्सव 31 अगस्त से 9 सितंबर तक रहेगा। मेरठ के बाईपास अंसल कोर्ट यार्ड स्थित श्रीशिव दुर्गा मंदिर के पुजारी व ज्योतिषविद पंड़ित संदीप पेन्यूली ने बताया कि गणेशोत्सव अनन्त चतुर्दशी को समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़कों पर गणेश जी  की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं। गणेश चतुर्थी पर चन्द्र-दर्शन निषेध होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।
नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर  कृष्ण ने गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और  दोष से मुक्त हो गये।  सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये।

सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी ,कलंक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है गणेश जी की पूजा और स्थापना
आप बुधवार को सुबह 10:44 से 12.00 दोपहर तथा सायं 15:30 से 18:30 बीच में पूजा और स्थापना कर सकते है। ये स्थापना करने का विशेष महूर्त है ।

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