तो क्या हो सकते हैं कैंट विस उप चुनाव

नोएडा से भाजपा का शंखनाद
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तो क्या हो सकते हैं कैंट विस उप चुनाव, चौंकने या हैरान होने की जरूरत नहीं, यदि सब कुछ ठीक रहा तो ऐसा संभव भी है.  उसको लेकर कोई नकारात्मक सोच की भी जरूरत नहीं है. दरअसल यदि ऐसा होता है तो इसके पीछे केवल काबलियत रखने वालों का बेहतर यूज ही एक मात्र मकसद होगा. इसमें कोई दो राय नहीं कि मेरठ हापुड़ लोकसभा से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कार्यकाल केवल भाजपा ही नहीं बल्कि मेरठ व हापुड़ के विकास के लिहाज से शानदार रहा है. संगठन मैनेजमेंट की नजरों में उनकी छवि एक शानदार मैनेजमेंट करने वाले नेता की है, इसके चलते यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राजेन्द्र अग्रवाल की कावलियत का और बेहतर यूज करने के लिए संभवत: संगठन में कोई बड़ा दायित्व साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्हें दिया जा सकता है,  यदि ऐसा होता है तो फिर लोकसभा चुनाव के लिए नए चेहरे की भी जरूरत पड़ेगी, जानकारों की मानें तो इसके लिए कैंट विधायक अमित अग्रवाल से बेहतर ऑप्शन जानकारों की नजर में कोई दूसरा नहीं है. मेरठ नगर निगम के चुनाव के दौरान बागियों को मनाने की बात हो या फिर चुनाव मैनेजमेंट की बात, या फिर इससे पूर्व जो भी दायित्व संगठन की ओर से उन्हें सौंपा गया, उसको अंजाम देने की बात हो, वह शत प्रतिशत खरे उतरे हैं. भाजपा के कुछ रणनीतिकार मानते हैं यदि राजेन्द्र अग्रवाल को रिप्लेस सरीखे हालात बनते हैं तो फिर अमित अग्रवाल से बेहतर कोई आप्शन संभव नहीं. हालांकि भाजपा में जिन्हें मातृ शक्ति संबोधित किया जाता है और उनका एक बड़ा वर्ग भी संख्या भी है, उनकी ओर से ऐसी स्थति में किसी महिला को लोकसभा चुनाव में चेहरा बनाने की बात उठायी जा सकती है. यदि ऐसा होता है कि उस दशा में पूजा बंसल का नाम भी आगे किया जा सकता है. हालांकि ये तमाम बातें कयास भर हैं. जो कुछ ऊपर अनुमान लगाया जा रहा है यदि वैसा कुछ होता नजर आता है तो फिर कैंट विधानसभा के उप चुनाव के हालात बनते हैं. यदि कैंट विधानसभा का उप चुनाव कराने की नौबत आती है तो फिर बड़ा सवाल यही कि प्रत्याशी के तौर पर चेहरा कौन होगा, भाजपा के आम कार्यकर्ता इसका भी सीधा ओर सपाट जवाब देते हैं, उनका कहना है कि महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल से बेहतर कोई दूसरा नाम हो ही नहीं सकता. कैंट विधानसभा के उप चुनाव की स्थिति यदि बनती भी है तो उस स्थिति में संगठन की नजरों में हो सकता है कि  मुकेश सिंहल आल ऑफ वैल साबित हों. इसके पीछे भाजपाई तर्क भी देते हैं. उनका कहना है कि साल 2017 में भी मुकेश सिंहल ही प्रबल दावेदार थे और उनकी तैयारी भी मजबूत थी, यह बात अलग है कि उन्हें कंसीडर नहीं किया, यदि कैंट विधानसभा के उप चुनाव सरीखी स्थिति बनती है, तो फिर भाजपा का एक वर्ग  मुकेश सिंहल ही बेहतर ऑप्शन मान रहा है. याद रहे कि ये तमाम बातें अभी कयास भर हैं, इसलिए दिल पर ना लें.

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