अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम पर हुई थी एफआईआर, 3 करोड़ घोटाले के आरोपी अफसर को जमानत
Allahabad/मेरठ। तीन करोड़ के घोटाले के आरोपी पूर्व में मेरठ में तैनात रहे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। यह पूरा मामला मदरसा छात्रवृत्ति गवन से जुड़ा है, जिसमें हाईकोर्ट ने सुमन गौतम को अग्रिम जमानत देते हुए बड़ी राहत दी है। वह इन दिनों सहारनपुर में तैनात हैं।
जमानत ट्रायल चलने तक मंजूर
वर्ष 2013 से लेकर 2019 तक 99 एफआईआर
किसी ने छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायत नहीं
वर्ष 2013 में मेरठ में तैनाती के दौरान 3 करोड़ रुपये छात्रवृति के गबन के आरोप में इन पर वर्ष 2013 से लेकर 2019 तक 99 एफआईआर दर्ज हुई थी। मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ सुमन गौतम ने हाईकोर्ट गए थे। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति समीर जैन की पीठ ने सुमन गौतम के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर अग्रिम जमानत ट्रायल चलने तक मंजूर कर ली। अधिवक्ता सुनील चौधरी के अनुसार मामला 2010- 2011 में सरकार द्वारा लगभग 3 करोड रुपए अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्ति भेजने के लिए केंद्र सरकार ने अनुमोदन किया था केंद्र सरकार के भेजे गए छात्रवृत्ति को सुमन गौतम तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मेरठ ने सभी मदरसो/विद्यालयों के मैनेजमेंट खाते में नियमानुसार छात्रवृति की धनराशि ट्रांसफर किए थे। सभी मदरसा प्रबंधक ने समस्त बच्चों को छात्रवृत्ति की धनराशि नगद वितरण कर दिया था। आरोप है कि अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम ने मदरसा प्रबंधको व अन्य से मिलकर नगद वितरण फर्जी दिखाकर समस्त धनराशि मदरसा संचालक व अपने सहायक पटल संजय त्यागी के साथ मिलकर समस्त धनराशि गबन कर लिया, जबकि आज तक किसी बच्चे या अभिभावक ने छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायत नहीं की ना ही कोई किसी विद्यालय से कोई रिकवरी कराई गई । घटना के 8 साल बाद एफ आई आर दर्ज हुई जिसकी जांच 2018 में शुरू हुई।
याची के विरुद्ध समस्त मुकदमो को हाइकोर्ट के निर्देश पर एक साथ जांच संख्या 65/15 में समाहित कर दिया गया था। पूर्व में इसी मुकदमे में याची की समस्त मुकदमों की जांच संख्या 65/15 पर उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है।याची अंतरिम जमानत पर है। याची महिला है और वर्तमान समय में सहारनपुर में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात है चार्जशीट के बाद अब कोई भी गिरफ्तारी की जरूरत नही है व जांच में सहयोग भी किया है। अल्पसंख्यक कल्याण उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ ने भी याची की विभागीय कार्रवाई में दोष मुक्त करते हुए कहा है छात्रवृत्ति का वितरण शत प्रतिशत दशार्या है। वर्ष 2014 -15 के बाद छात्रों की छात्रवृत्ति बच्चों के खातों में भेजने का आदेश हुआ है।याची के विरुद्ध समाहित आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। जिस पर हाईकोर्ट ने याची की अग्रिम जमानत याचिका ट्रायल चलने तक पूर्व की शर्तों पर मंजूर कर लिया ।