सरकार पर समझौते के उल्लंघन का आरोप, हजारों कर्मचारियों का वेतन रोका, निजीकरण वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन
मेरठ। बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध चल रहा कर्मचारियों का प्रदेश व्यापी आंदोलन बुधवार को 350वें दिन में प्रवेश कर गया। आंदोलनकारी कर्मचारियों ने सूबे की योगी सरकार पर कर्मचारियों के साथ पूर्व में हुए समझौते को ना मानने का आरोप लगाया है। विक्टोरियपार्क स्थिति ऊर्जा भवन परिसर में कर्मचारियों ने जमकर हंगामा व प्रदर्शन किया।
संघर्ष समिति के संयोजक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज बिजली कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने प्रदेश के समस्त जनपदों में जोरदार विरोध कर प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। तय किया गया कि आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि 5 अप्रैल 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और 6 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया था कि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। यह सब इन दोनों समझौता का खुला उल्लंघन है।
वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर हजारों पद समाप्त
संघर्ष समिति ने कहा कि वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर लेसा में सभी संवर्गो के हजारों पद केवल इसलिए समाप्त किए जा रहे हैं क्योंकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के साथ-साथ प्रदेश के कई बड़े शहरों के निजीकरण की भी अंदर-अंदर योजना चल रही है। इसी योजना के तहत पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा और मुरादाबाद में रिस्ट्रक्चरिंग की गई है और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में बरेली में की जा चुकी है और लखनऊ में की जा रही है। विरोध प्रदर्शन में आलोक त्रिपाठी, कृष्णा सारस्वत, निखिल कुमार, सौरभ, अश्वनी, महेश चंद्र शर्मा, मांगेराम आदि भी शामिल रहे।