मेरठ। शहर में पिछत्तर हजार ई रिक्शाएं किसी बम से कम नहीं। शहर ई-रिक्शाओं के विस्फोट के मुहाने पर बैठा है। इन 75 हजार ई-रिक्शाओं में से अकेले भूमिया का पुल और हापुड़ स्टैंड या कहे चौराहे पर दो-दो हजार से ज्यादा ई-रिक्शाएं हैं। कैंट विधायक अमित अग्रवाल और राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी इसको लेकर एमडीए की बड़ी बैठक में चिंता जाहिर कर चुके हैं। ई-रिक्शाओं की संख्या नियंत्रण करने की बात तो सभी करते हैं, लेकिन ई-रिक्शाओं की संख्या मेरठ में नियंत्रित होने की सूरत नजर नहीं आ रही है। सुबह के वक्त गरी दस से ग्याराह बजे के बीच ई-रिक्शाएं शहर के ट्रैफिक के लिए किसी नासूर सरीखी होती हैं। ऐसा नासूर जो काम पर जाने वालों को दर्द देती हैं। शहर में में ई-रिक्शा, खासकर पीएल शर्मा रोड पर, एक बड़ी समस्या बन गए हैं, जिससे व्यापारियों और आम जनता को परेशानी हो रही है। अव्यवस्थित पार्किंग, ट्रैफिक जाम और सड़कों पर ई-रिक्शा की भीड़भाड़ के कारण, व्यापारियों का धंधा चौपट हो रहा है और आम लोगों को आवागमन में मुश्किल हो रही है।
नासूर बन चुकी हैं
शहर में जाम की समस्या नासूर बन चुकी है। इससे निजात दिलाने के लिए समय-समय पर योजनाएं बनती रही हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिली। पुलिस के अफसर इनकी संख्या पर अंकुश लगाने की बात तो करते हैं, लेकिन अंकुश कैसे लगाया जाए इसकी जानकारी तक उन्हें नहीं। जिन प्रयासों की बात की जा रही है उनके तहत शहर के तीन मुख्य मार्गो गढ़ रोड, हापुड़ रोड व दिल्ली रोड पर ई-रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित करने का दावा किया था, लेकिन दावा परवान नहीं चढ़ सका।
जब्त करना कोई इलाज नहीं
ई-रिक्शाओ के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने बहुत से ईरिक्शा सीज किए। यह कार्रवाई तो प्रतिदिन की जा रही है। जब्त भी किए जा रहे हैं। जब्त किए जाने वाले ई-रिक्शाओं को डेमेज कर उन्हें कबाड़ियों को बेचा दिया जाता हे, लेकिन यह कोई हल नहीं। यदि यही हल होता तो ई-रिक्शाओं की संख्या 75 हजार नहीं पहुंच जाती।
कम स्पीड बन रही बाधा
ई-रिक्शा आवागम का सुगम जरिया माना जाता है, लेकिन इनकी अधिकतम स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा की है, जो मुख्य मार्गो पर अन्य वाहनों के लिए परेशानी पैदा करती हैं। दूसरी तरफ ई-रिक्शा का कोई स्टैंड न होने से बीच सड़क पर ही सवारियां बैठायी-उतारी जाती हैं। एसएसपी का कहना है कि ई-रिक्शा का संचालन बंद होने के बाद उक्त तीनों मार्गो पर बसों या अन्य वैध साधनों से आवागमन को बढ़ावा दिया जाएगा।
इनका कहना है
शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। बेतरतीब ढंग से दौड़ रहे ई-रिक्शा जाम की बड़ी वजह हैं। लिहाजा गढ़ रोड, हापुड़ रोड व दिल्ली रोड पर इनका संचालन बंद करने का फैसला लिया गया है। एसपी ट्रैफिक से प्लान मांगा गया है। जल्द इसे लागू किया जाएगा।
दौड़ रहीं बैक गेयर में
शहर के सबसे ज्यादा भीड़ वाले बेगमपुल इलाके में बैक गेयर में दौड़ रहीं ई-रिक्शाएं टैफिक पुलिस के उस हलफनामे की पोल खोल रही है। जिसमें ऑल इज वेल का दावा किया गया है। महानगर के टैफिक के लिए बड़ी मुसीबत बनीं ई-रिक्शाओं में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के यहां सुनवाई चल रही है। इसको लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने जनहित याचिका दायर की है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रदेश के एडीजी टैफिक, अरटीओ, डीएम मेरठ और एसएसपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में मेरठ टैफिक पुलिस ने जो हलफनामा दायर किया गया है बकौल मनोज चौधरी उसमें तो ऑल इज वेल बताया गया है। जबकि ई-रिक्शाओं ने मेरठ की दुर्दशा कर दी है। इसको लेकर बेगमपुल के व्यापारी नेता पुनीत शर्मा का कहना है कि यह तो वह नहीं जानते कि इलाहाबाद में चल रही सुनवाई में मेरठ ट्रैफिक पुलिस की ओर से क्या हलफनामा दायर किया गया है, लेकिन जिस प्रकार की बातें और दावे टैफिक पुलिस की ओर से किए जा रहे हैं, यहां वैसा कुछ भी नहीं है। बेगमपुल चौराहे को ई-रिक्शा फ्री जोन घोषित किया गया था, लेकिन ई-रिक्शाओं का सबसे ज्यादा गदर बेगमुपल पर ही है। बेगमपुल के हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां तो मुख्य बाजार में चालक उल्टी ई-रिक्शा दौड़ा रहे हैं। बैक गेयर में ई-रिक्शाएं दौड़ाई जा रही है।
कमिश्नर, डीएम, एसएसपी व एसपी टैफिक को भेजी वीडियो
बेगमपुल चौराहे पर उल्टी दौड़ रही ई-रिक्शाओं की वीडियो बनाकर पुनीत शर्मा ने कमिश्नर, डीएम, एसएसपी और एसपी टैफिक को भेजी है, ताकि उन्हें पता चला सके कि बेगमपुल पर ई-रिक्शाओं का किस प्रकार कहर टूट रहा है। आए दिन उनकी चपेट में आकर लोग चोटिल हो रहे हैं। हालत बद से बदतर कर दी गयी है। बेगमुपल के व्यापारियों के ईरिक्शा किसी मुसीबत से कम नहीं है। पुलिस प्रशासन के तमाम आला अफसरों से इस कहर से निजात दिलाने की मांग की गयी है। उन्होंने बताया कि इसको लेकर बेगमपुल के व्यापारी अब सांसद, मंत्री व विधायक से भी मिलेंगे। वहीं, दूसरी ओर यदि हलफनामे की बात करें तो उसमें तो सब चंगा सी यानि ऑल इज वेल है। ई-रिक्शाओं के लिए पूरे शहर को जोन में बांट दिया गया है। एक जोन के ई-रिक्शा दूसरे जोन में नहीं चलते हैं। सभी जोन के लिए ई-रिक्शाओं पर स्टीकर चस्पा कर दिए गए हैं। अवैध ईरिक्शाओं के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ा हुआ है। बड़ी संख्या में ई-रिक्शा सीज किए गए हैं। चालान किए जा रहे हैं। इस कार्रवाई से कहीं भी ई-रिक्शा अभी मुसीबत नहीं रही हैं। शहर में सब चंगा सी, लेकिन ई-रिक्शाओं को लेकर हालत क्या कर दी गयी है। इसका अंदाजा शहर के किसी भी बाजार या इलाके में पहुंचकर लगाया जा सकता है।
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