मेरठ/ निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ आल इंडिया हड़ताल के तहत देश भर के 27 लाख कर्मचारी सड़कों पर नजर आएंगे। निजीकरण नीति के तहत आज लखनऊ में खोला जाने वाला भी टैंडर टाल दिया गया। हालांकि अधिकारी ऐसा नहीं मान रहे हैं, उनका कहना है कि अन्य कुछ तकनीकि कारणों के चलते टैंडर प्रक्रिया को टाला गया। दरअसल टैंडर प्रक्रिया का विरोध कर रहा कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश भर के नेताओं ने लखनऊ में डेरा डाला हुआ था। यह भी कहा जा रहा है कि संघर्ष समिति के नेताओं से टकराव की आशंका के चलते शुक्रवार को प्रस्तावित टैंडर प्रक्रिया को टाला गया है। वहीं दूसरी ओर संघर्ष समिति के नेताओं को आशंका है कि गुपचुप तरीके से भी टैंडर प्रक्रिया करा सकती है, हालांकि पावर कारपोरेशन अफसरों ने ऐसी तमाम आशंकाओं को निराधारा करार दिया है।
बिजली के निजीकरण के विरोध में 27 लाख कर्मचारी उतरेंगे सड़कों पर
विरोध नहीं आया काम
योगी सरकार की बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ प्रदेश भर के बिजली कर्मचारी लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान दो बार लंबे प्रदेश व्यापी हड़ताल भी की गयी। सरकार और कर्मचारी संयुक्त समिति के नुमाइंदे बातचीत की टेबल पर भी बैठे लेकिन बीच का कोई रास्ता नहीं निकला। इस बीच सरकार की ओर से टैंडर प्रक्रिया पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया। शुक्रवार की दोपहर को टैंडर खोले जाने का भी ऐलान कर दिया गया।
उपभोक्ताओं की कटेगी जेब
कर्मचारी संयुक्त समिति के जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि टैंडर प्रक्रिया से केवल बिजली कर्मचारियों के नुकसान नहीं होगा। बिजली कर्मचारियों से बड़ा नुकसान उपभोक्ताओं को होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए निजीकरण के इस विरोध में अब पब्लिक के भी साथ आना चाहिए।