CBI का करना पड़ रहा सामना, कैंट बोर्ड के कुछ अफसर सीबीआई ने रडार पर ले लिए हैं। पिछले दो सप्ताह के दौरान मेरठ कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन व सेनेट्री सेक्शन के चार अफसर गाजियाबाद स्थित सीबीआई कार्यालय पर तलब किए गए हैं। इसको लेकर तमाम उन अफसरों जो जिनका इससे सीधा कनेक्शन माना जा रहा है उनके करीबियों में घबराहट बातचीत से साफ जाहिर हो रही है। वहीं दूसरी ओर सीबीआई के गाजियाबाद कार्यालय में हाजरी लगाई जा रही है, इसकी किसी को भनक तक नहीं लगने दी जा रही है। हालांकि यह बात अलग है कि तमाम चैनलों से होते हुए कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग व सेनेट्री सेक्शन हेड व उनके जूनियर के द्वारा की गयी सीबीआई गाजियाबाद कार्यालय की परिक्रमा की खबर इस संवाददाता तक पहुंच ही गयी।
ये हैं मामले सीबीआई कर रही है जिनकी जांच
कैंट बोर्ड के जो अफसर पिछले दो सप्ताह के दौरान गाजियाबाद स्थित सीबीआई के कार्यालय में जाकर माथा टेक चुके हैं या कहें पूछताछ का सामना कर चुके हैं वो जिन मामलों का सामना कर रहे हैं उनमें करीब दो सौ से ज्यादा मुटेशन के प्रकरण के अलावा, मेरठ कैंट बोर्ड अफसरों के भ्रष्टतम कारनामों का सबसे बड़ा मुजस्मा बाउंड्री रोड स्थित होटल/रिसोर्ट 22बी, डोर टू डोर कलेक्शन, ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए कैंट बोर्ड मेरठ के खजाने को करीब 36 लाख के राजस्व का नुकसान पहुंचाना तथा अवैध निर्माणों के मामले शामिल हैं।
बड़ा सवाल अगला नंबर किस का
सीबीआई के गाजियाबाद कार्यालय में अब तक जिनकी हाजरी लग चुकी है सूत्रों ने जानकारी दी है उनमें कैंट बोर्ड इंजीनियरिंग सेक्शन हेड पीयूष गौतम, जेई अवधेश यादव, सेनेट्री सेक्शन हेड बीके त्यागी और लैंड क्लर्क दिनेश अग्रवाल का नाम लिया जा रहा है। हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं की जा रही है, लेकिन चर्चा इन चारों नामों की है। साथ ही यह भी चर्चा इन दिनों गरम है कि सीबीआई के गाजियाबाद कार्यालय में इन चार अफसरों की हाजरी के बाद अब अगली बारी किस अफसर की है। या फिर यह मान लिया जाए कि कैंट बोर्ड के बड़े साहब हो सकते हैं जिनको अगली बार तलब किया जा सकता है। यह साफ तभी हो सकेगा जब साहब की गाड़ी गाजियाबाद की ओर दौड़ती नजर आएगी।
बेहद क्रिटिकल है आरोप जिसको लेकर पूछताछ
सीबीआई के गाजियाबाद में मौजूद कार्यालय में कैंट बोर्ड मेरठ से जुड़े जुड़े करीब दो सौ से ज्यादा मुटेशन, 22-बी होटल/रिसोर्ट, डोर टू डोर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने को सरकार को करीब 36 लाख के राजस्व की हानि व अवैध निर्माण के करीब पांच सौ से ज्यादा मामले शामिल हैं।
कायदे कानून ताक पर रखकर मुटेशन का आरोप
सूत्रों ने जानकारी दी कि मुटेशन की जिन मामलों की सीबीआई जांच कर रही है। उनमें ऐसे तमाम मामलों की भरमार हैं जिनमें कैंट एक्ट अधिनियम का जबरदस्त तरीके से उल्लंघन किया गया है। ऐसे मामलों के मुटेशन कर दिए गए हैं जिनमें सब डिविजन आफ साइट, चेंज आफ परपज व अवैध निर्माण सरीखे गंभीर उल्लंघन शामिल हैं।
नावेन्द्र नाथ ने कर दिए थे निरस्त
मुटेशन के जिन मामलों की जांच की बात सुनने में आ रही है, यह भी सुनने में आया है कि उन तमाम मामलों में पूर्व में तत्कालीन सीईओ कैंट बोर्ड मेरठ ने गंभीर खामियां पाते हुए अपने कार्यकाल में बोर्ड की एक बैठक में मुटेशन के तमाम मामले निरस्त करा दिए थे। जहां तक खामियों की बात है तो खामियां भी ऐसी कि इंजीनियरिंग सेक्शन के जेई व एई ने रिपोर्ट ही बदल दी। डोर टू डोर का जहां तक सवाल है वहां सेनेट्री सेक्शन के तत्कालीन इंस्पेक्टरों ने जो रिपोट लगायी थी, उसके बावजूद भी लाखों का भुगतान कर दिया गया। और भारत सरकार को लाखों रूपए का चूना लगा दिया गया। ऐसे ही गंभीर आरोप (लेनदेन) पश्चात बहुमंलला बिल्डिंग खड़ी हो गयीं। पिछले साल में कैंट कंकररीट जंगल में तब्दील हो चुका है। आखिर क्यों सो रहा है कैंट बोर्ड में अधिकारियों व कर्मचारियों का अमला।