कौन मोल लेगा राहत का जोखिम

kabir Sharma
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सदर जैन मंदिर में करोड़ों की नकदी, एक किलो सोना और एक हजार किलो चांदी लूट मामले में फंसे तमाम आरोपियों को राहत देने कर आफत मोल लेने का जोखिम कोई नहीं उठाएगा, हां इतना जरूर है कि धन बल के बूते आरोपियों को कुछ वक्त खुली हवा में सांस लेने का मौका जाए मिल

मेरठ। सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्रीपार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के स्वयं भू पदाधिकारियाें द्वारा कई करोड़ की नकदी, एक हजार किलो चांदी और एक किलो से ज्यादा दान का सोना खुर्दबुर्द किए जाने के मामले में फंसे तमाम आरोपी क्राइम ब्रांच से राहत के लिए तमाम हथकंड़े अपना रहे हैं। सुनने में तो यहां तक आया है कि जो मंदिर जी की धन संपदा लूटने का जो पाप किय गया है उसकी सजा से बचने के लिए कुछ तो यहां तक कहते सुने जा रहे हैं कि भले ही कुछ भी कीमत ले लो लेकिन इस केस में से उनका नाम किसी भी प्रकार निकला दीया जाए। ऐसा सोचने वाले शायद यह भूले गए हैं कि यह योगी की पुलिस है। सीएम योगी की पुलिस दूध का दूध और पानी का पानी करती है, इसकी वजह कि मंदिर जी में जो लूट की गयी है उसकी जानकारी पुलिस प्रशासन के तमाम अफसरों को है। इसके अलावा यह मामला हाईकोर्ट के भी संज्ञान में है। हाईकोर्ट से जो लोग राहत लेकर आए हैं उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि उनकी राहत की मियाद भी पूरी हो चुकी है। मंदिर जी में लूट के कसूरवारों को कानून की दर तक पहुंचाने वाले ऋषभ एकाडेमी के सचिव डा. संजय जैन यदि चाहें तो एक अर्जी हाईकोर्ट में लगाएंगे और जितने भी आरोपी हैं खुद खींचे चले जाएंगे। लेकिन यह भी सच है कि डा. संजय जैन कभी भी ऐसा नहीं करेंगे। उनका साफ कहना है कि उन्हें कानून और क्राइम ब्रांच पर पूरा भरोसा है। वह अब तक की कार्रवाई से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। यहां यह भी साफ कर दें कि अपनी तिजोरी के बूते पर जो नाम निकलवाने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं या फिर हाथ पांव मार रहे हैं, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि इस केस में से ना तो किसी का नाम निकल सकता है, ना ही कोई धारा काम हो सकती है और ना ही इसमें एफआर यानि फाइनल रिपोर्ट लगाकर यह केस बंद कराया जा सकता है। तिजोरी खाली भी कर लोगे तो भी वो नहीं करा पाओगे जो चाहते हो। हां इसमें बचने का एक रास्ता है.. वो ये कि जितने भी आरोपी इस केस में बनाए गए हैं उनमें से जिन दो का नाम सभी ने अपने बयान में लिया है कि सोना व करोड़ों की नकदी इनके पास है, सभी मिलकर उन्हें इस बात के लिए राजी करें कि वो जेल चले जाए… हालांकि यह असंभव है, लेकिन जब कानून का चाबुक चलता है तो असंभव भी संभव हो जाता है। पुलिस पूछताछ में जिनके भी बयान हुए हैं उन सभी ने यहां तक कि रंजीत जैन तक ने कहा है कि वह तो बीमार रहते हैं जो कुछ भी नकदी और सोना है वह सब मृदुल जैन के पास है। क्राइम ब्रांच की जांच और तेजी से गले की ओर बढता कानून का शिकंजा हो सकता है कि कभी रात को अचानक कॉल बैल बजे और दूसरी ओर से आवाज आए पुलिस, उस स्थिति में क्या और कैसे करोगे। क्योंकि तिजाेरी के बूते जो चाहते हो वो कभी भी नहीं हो सकता क्योंकि कानून और संविधान सबसे ऊपर है। उससे ऊपर कोई नहीं।

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