मेरठ। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन ने विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दिया। संगठन के जिला महासचिव शिव शंकर सिंह, संजय प्रताप सिंह एटीईवा के उपाध्यक्ष और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कर्मचारी नेता के अलावा अशोक कुमार व जोगेंद्र प्रसाद भी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के गैर-शिक्षण विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अर्जित अवकाश के नकदीकरण को बहाल करने, सेवानिवृत्ति पर 300 दिनों तक के अर्जित अवकाश के नकदीकरण (लीव इनकैशमेंट) को बहाल करने, यह सुविधा, जो पहले दी जाती थी लेकिन साल 2012 में रोक लगा दी गयी। विश्वविद्यालय कर्मचारियों की हड़ताल के बाद सरकार द्वारा इस आदेश को वापस लेने पर सहमति बनी थी, लेकिन यह भुगतान अभी तक बहाल नहीं किया गया। ज्ञापन में इस मांग के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें संबंधित सरकारी आदेश, विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधान और सर्वोच्च न्यायालय और बॉम्बे, गुजरात और कर्नाटक उच्च न्यायालयों के कानूनी निर्णय शामिल हैं। इन अदालतों ने इस भुगतान को वेतन के समान एक मौलिक संपत्ति अधिकार माना है। साथ ही कैशलेस चिकित्सा सुविधा का विस्तार कर 5 लाख रुपये तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा, जो वर्तमान में शिक्षकों को दी जाती है, उसे गैर-शिक्षण कर्मचारियों तक भी बढ़ाया जाए। 2001 के बाद से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण, पुरानी पेंशन योजना को लागू करना आदि शामिल प्रतिनिधिमंडल ने उम्मीद जताई कि सरकार इन लंबे समय से लंबित मांगों पर सकारात्मक विचार करेगी और कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने के लिए त्वरित कार्रवाई करेगी।
उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन
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