सरक्रीक के दलदलीय इलाके को लेकर क्यों बैचेन हो रहा है पड़ौसी
बंटवारे में सिंध पाक की तरफ, गुजरात आया भारत के हिस्से में, पाक ने दिया 1914 के प्रस्ताव का हवाा
नई दिल्ली। पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के सत्तर सालों के बाद भी दोनों देशों के बीच सरक्रीक की सीमा का विवाद कांटे की तरह चुभता है। इसको दलदलीय निर्जन इलाका कहा जाता है, लेकिन अब सरक्रीक को लेकर पाकिस्तान ने नापाक इरादे जाहिर कर दिए हैं। इस इलाके में पाक सैन्य गतिविधियाें का मनसूबा पाले हुए है। इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान बगैर किसी मकसद के भारत से लगी उसकी सीमा पर कभी कुछ नहीं करता। सरक्रीक का इलाका भले ही दलदलीय व निर्जन इलाका हो, लेकिन यदि पाकिस्तान वहां कुछ हरकत कर रहा है तो निश्चित रूप से उसके इरादे नेक नहीं है। बंटवारे के दौरान सिंध पाकिस्तान में चल गया था और गुजरात को भारत का हिस्सा बना लिया था। सरक्रीक को लेकर नापक इरादे रखने वाला पाकिस्तान अक्सर साल 1914 के एक प्रस्ताव का हवाला देता है जिसमें उसका दावा है कि खाड़ी का पूरा इलाका सिंध प्रांत का है, जबकि भारत लगातार उसके इस दावे को खारिज करता रहा है। अब उसने सरक्रीम में सैन्य गतिवियां शुरू कर दी हैं,माना जा रहा है कि इसी के चलते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के भुज इलाके से पाकिस्तान को कठोर लहजे में एक दिन पहले चेतावनी भी दी है। रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान की किसी भी हिमाकत पर इलाके का भूगोल बदलने तक की बात कह डाली है। यहां यह भी उल्लखनीय है कि जहां तक भूगोल बदलने की बात है तो यह काम तो केवल इंदिरा गांधी जैसी आयरन लेडी ने ही कर दिखाया था।