
New Delhi। नेशनल यूनाइटेड फ्रंट आॅफ डाक्टर्स के संस्थापक डा. अनिल नौसरान ने छिंदवाड़ा सिरप घटना पर दुख व्यक्त करते हुए इसकी निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि वहां बच्चों की दर्दनाक मौतें, जो कथित रूप से कोल्ड्रिफ खांसी की दवा के सेवन से हुईं, पूरे देश को झकझोर देने वाली घटना है। हर बच्चे की मौत मानवता के लिए एक गहरी चोट है। देश के सभी चिकित्सक इस दुख में उन परिवारों के साथ खडेÞ हैं जिन्होंने अपने बच्चे खोए हैं, लेकिन इसको लेकर छिंदवाड़ा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। डा. नौसरान ने कहा कि प्रशासनिक खामियों पर पर्दा डालने के लिए ही डा. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है। डॉ. सोनी ने न तो यह सिरप बनाया, न सप्लाई किया, और न ही उसकी गुणवत्ता की जांच करने की कोई जिम्मेदारी उनकी थी। उन्होंने तो केवल एक मान्यता प्राप्त और बाजार में उपलब्ध दवा को मरीज के इलाज के लिए लिखा था, जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया द्वारा स्वीकृति प्राप्त थी। यदि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल जैसे जहरीले रसायन की मिलावट पाई गई है, तो इसकी जिम्मेदारी कंपनी व डीसीजीआई की है जिसने निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही की। मध्यप्रदेश और तमिलनाडु के औषधि नियंत्रक विभागों पर जिन्होंने समय रहते दवा की जांच नहीं की। यह सिस्टम की विफलता है, डॉक्टर की नहीं। घटना किसी डॉक्टर की गलती नहीं, बल्कि दवा नियंत्रण व्यवस्था की असफलता की वजह से हुई है। देश के डॉक्टर सरकार द्वारा स्वीकृत दवाओं पर भरोसा करते हैं।
अगर दवा पहले से ही फैक्ट्री या डिस्ट्रीब्यूशन स्तर पर दूषित हो चुकी हो, तो कोई भी डॉक्टर चाहे वह कितना भी अनुभवी क्यों न हो उसे जांच नहीं सकता। डॉक्टरों को दोषी ठहराना, असली अपराधियों से ध्यान भटकाने के समान है। हम डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं। नेशनल यूनाइटेड फ्रंट आॅफ डॉक्टर्स इस गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा करता है और मांग करता है कि डॉ. प्रवीण सोनी को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाए। निमार्ता कंपनी और जिम्मेदार औषधि नियंत्रण अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। डॉक्टरों को मनमाने कानूनी उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान की जाए। डॉक्टर अपराधी नहीं, जीवनदाता हैं