जिन पर है एफआईआर वही चला रहे ऐजेंसी

kabir Sharma
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छह माह में पूरी होनी थी, राशन घोटाले की जांच सात साल बाद भी अधूरी, राशन डीलरों पर सौ एफआईआर, दो सौ दुकानें सस्पेंड, दो को जेल


NewDelhi/मेरठ। साल 2018 में अंजाम दिए गए जिस राशन घोटाले की जांच छह माह में पूरी की जानी थी वो सात साल बाद भी अधूरी है। घोटाले को लेकर सौ से ज्यादा एफआईआर और करीब दो सौ दुकानें सस्पेंड हुई थीं, हैरानी तो इस बात की है कि जिन पर एफआईआर व दुकान सस्पेंड की कार्रवाई हुर्इं आज वो ही हाईकोर्ट से राहत पाकर दुकानें चला रहे हैं। राशन घोटाले में सस्पेंड की गयी 80 फीसदी दुकानों को हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया है और शासन में बैठे खाद्यान अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। ना तो शासन स्तर पर और ना ही स्थानीय स्तर पर सस्पेंड दुकानों की बहाली मामले को लेकर हाईकोर्ट में एक भी केविएट दायर की गयी।
यह है पूरा मामला
साल 2018 में राशन की दुकानों पर वितरण में गड़बड़ी रोकने के नाम पर जो ईपोस मशीनें रखी गयी थीं, खाद्यान महकमे के कुछ शातिर अफसरों ने राशन डीलरों को साथ मिलाकर उन्हीं मशीनों से गरीबों के निवालों पर डाका डाल दिया। मेरठ समेत पूरे प्रदेश में चालिस जनपदों में यह राशन घोटाला अंजाम दिया गया। मेरठ घोटाले के टॉप टेन जनपदों में शुमार था। जब इस घोटाले का खुलासा हुआ तो मेरठ से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया।
एसटीएफ को छह माह में पूरी करनी थी जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन प्रमुख सचिव खाद्यान ने एसटीएफ लखनऊ को जांच सौंपी और छह माह के भीतर जांच कर रिपोट प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मेरठ में इस मामले में सौ एफआईआर अलग-अलग थानों में की गयीं और दो सौ से ज्यादा राशन की दुकानें सस्पेंड कर दी गयीं। सस्पेंड की गयीं दुकानें दूसरी दुकानों पर अटैच की गर्इंं, आरोप तो यहां तक लगते हैं कि जिन दूसरी दुकानों पर सस्पेंड राशन की दुकानें अटैच की गई तत्कालीन डीएसओ अफसर उसमें भी घोटाले से बाज नहीं आए।

आरोपी चल रहे दुकानें

राशन घोटाले में जिन डीलरों पर मुकदमें हुए थे और दुकानें सस्पेंड की गयी थी आज वो ही राशन डीलर दुकानों को चला रहे हैं। मेरठ की बात करें तो अस्सी फीसदी से ज्यादा राशन की सस्पेंड दुकानें हाईकोर्ट से बहाल करा ली गयी हैं। जिस राशन घोटाले को लेकर मेरठ से लेकर लखनऊ तक तूफान उठा हुए था और सौ एफआईआर हुए थीं, उनमें केवल दो लोग शास्त्रीनगर का राशन डीलर जगबीर और डीएसओ आॅफिस का प्राइवेट कंप्यूटर आपरेटर शाहनवाज ही जेल गए वो भी इस वक्त जमानत पर बाहर हैं।
यह कहना है डीसी फूड का
राशन घोटाले के संबंध में जब अपर आयुक्त खाद्यान राजेन्द्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने हाईकोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी से इंकार कर दिया और बताया कि इस मामले में जो भी कार्रवाई की जानी है वह शासन स्तर से होनी है। स्थानीय स्तर पर केवल हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाना भर है।

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