
अफगानी मंत्री का गुलाबों की बारिश, छात्रों का उमड़ा हुजूम, पंद्रह उलमा स्वागत में थे खडे, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम
नई दिल्ली/दारूल उलूम। अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी दारूल उलूम देवबंद का अपना दौरा पूरा कर नई दिल्ली लौट गए। इससे पहले उनके यहां पहुंचने पर उनका गुलाबों की पंखुडियों की बारिश से शानदार स्वागत किया गया। काले रंग की लग्जरी गाड़ी से सड़क के रास्ते से दारूल उलूम पहुंचे थे। उनके स्वागत में पंद्रह उलमा मौजूद थे। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्ताकी देश के सबसे प्रतिष्ठित इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद पहुंचे। संस्था प्रशासन ने उनकी अगवानी के लिए 15 प्रमुख उलमा लगाए। उनका स्वागत कार्यक्रम संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की अगुवाई में किया गया। मुत्ताकी का काफिला नई दिल्ली से शनिवार की सुबह करीब 8.30 बजे रवाना हुआ और दोपहर करीब 12 बजे देवबंद पहुंचा।
सुरक्षा ऐजेंसियां अलर्ट
अफगानी विदेश मंत्री के देवबंद पहुंचने पर सुरक्षा व खुफिया ऐजेंसियां अलर्ट मोड पर थीं। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए थे। छतों पर भी पुलिस फोर्स लगाया गया था। प्रशासन ने पहले ही साफ कर दिया था कि देश के महमान के आगमन पर यदि कोई विध्न डाला गया तो फिर खैर नहीं।
मौलाना मदनी बोले देश के मेहमान
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी देश के मेहमान हैं। ‘हमारा अफगानिस्तान के साथ एक शैक्षिक और शैक्षणिक संबंध है। वह अपने मदार-ए-इल्मी से मिलने आए थे। उन्होंने हमारे साथ बातचीत भी की। आमीर खान मुत्ताकी के दारुल उलूम पहुंचने पर छात्र उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। संस्था में पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया।
अब नाम के आगे लगा सकेंगे मौलाना
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलाना आमीर खान मुत्ताकी का लाइब्रेरी में प्रमुख उलमा ने स्वागत किया। इस दौरान मुत्तकी ने संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी से हदीस का सबक पढ़ा और उसे पढ़ाने की इजाजत ली, मोहतमिम ने उन्हें हदीस-ए-सनद दी। हदीस की इजाजत मिलने के बाद अब मुत्तकी के नाम के आगे कासमी जुड़ गया है। जिसके बाद वह अपना पूरा नाम ‘मौलाना आमिर खान मुत्ताकी कासमी’ लिख सकेंगे। दारुल उलूम में सबक पढ़कर मुत्तकी के चेहरे पर खुशी नजर आई। सबक पढ़ने के बाद विदेश मंत्री संस्था के मेहमानखाने में पहुंचे। वहां से दोपहर 2.30 बजे उन्हें लाइब्रेरी में छात्रों को संबोधित करना था लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण उनका कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा और वह और दिल्ली के लिए वापस लौट गए।