कैंट बोर्ड की करोड़ों की संपत्ति, फिर भी किराया एक पाई नहीं, बेदखल किया जाएगा किराएदार, सीईओ के मजबूत पैरवी के निर्देश
मेरठ। कैंट बोर्ड की करोड़ों रुपए कीमत की संपत्ति अतिथिगृह से किराएदार मालामाल है, लेकिन एक भारी भरकम रकम अतिथगृह के निर्माण में खर्च करने के बाद भी कैंट बोर्ड इस संपत्ति की कमाई के नाम पर कंगाल बना हुआ है। कैंट बोर्ड ऑफिस के सामने स्थित अतिथिगृह में पूरे साल आयोजन होते हैं। एक-एक आयोजन का कई-कई लाख रुपया वसूला जाता है, लेकिन इसकी एवजी में कैंट बोर्ड को बीते दस सालों से कुछ भी नहीं मिल रहा है। करोड़ों की संपत्ति अतिथिगृह सालों से किराएदार के कब्जे में है और किराए के नाम पर एक पाई नहीं। इसी के चलते अब अतिथिगृह को कैँट बाेर्ड प्रशासन ने अपने कब्जे में लेने का निर्णय लिया है। हालांकि करीब दो माह पहले अतिथिगृह के ऊपरी हिस्से का कब्जा इंजीनियरिंग सेक्शन की मदद से कैंट बोर्ड ने अपने कब्जे में ले लिया था, बाकि का नीचे का कब्जा लेने के लिए कोर्ट में मजबूती से पैरवी करायी जा रही हे। दस साल से ज्यादा के अरसे से कैंट बोर्ड के खजाने में एक पाई नहीं आयी।
महज एक साल की किराएदारी
कैंट बोर्ड ने साल 2008 में अतिथिगृह को महज एक साल के लिए 5.5 लाख सालान पर संतोष शर्मा नाम के शख्स को एक साल के लिए किराए पर दिया था। यह किरायानामा तत्कालीन सीईओ एसएस चहल के कार्यकाल में तय हुआ था। बताया गया है कि मियाद पूरी होने के बाद कैंट बोर्ड प्रशासन ने एक साल के लिए और किरायानामा बढ़ा दिया। दो साल पूरे होने के बाद फिर और एक साल के लिए यह किरायानामा बढ़ा दिया गया। उसी दौरान एसएस चहल का कैंट बोर्ड से तवादला हो गय।
खाली कराए जाने का नोटिस
एसएस चहल के तवादले के बाद केसी गुप्ता सीईओ बनकर यहां आए। उनके कार्यकाल में अतिथिगृह को खाली कराए जाने का नोटिस किराएदार को थमा दिया गया। नोटिस के खिलाफ किराएदार कोर्ट चला गया। साथ ही कैंट बोर्ड को 5.5 लाख रुपए सालाना का किराया भी मिलना बंद हो गया। इस बीच कैंट बोर्ड ने पीपीई एक्ट के तहत कार्रवाई कर दी। उसी के चलते संतोष शर्मा की किराएदारी खत्म करते हुए उसको अतिथिगृह से बेदखल कर दिया गया। साल 2013 में कैंट बोर्ड मुकदमा हार गया। इस बीच केसी गुप्ता का यहां से तवादला हो गया और डीएन यादव सीईओ बनकर यहां आए।
हाईकोर्ट पहुंचा कैंट बोर्ड
सीईओ डीएन यादव के निर्देश पर सिविल कोर्ट से हारने के बाद सीईओ डीएन यादव के निर्देश पर कैंट बोर्ड हाईकोर्ट चला गया, लेकिन मजबूत पैरवी ना किए जाने के चलते केवल तारीख पर तारीख वाला किस्सा चलता रहा। अब वर्तमान सीईओ जाकिर हुसैन के सामने जब अतिथिगृह की फाइल पहुंची तो उन्होंने इस मामले की नए सिरे से पैरवी के निर्देश दिए हैं। साथ ही नए वकील हायर किए जाने की बात भी सुनने में आ रही है। कैंट बोर्ड के लिए अच्छी बात यह रही कि इंजीनियरिंग सेक्शन की मार्फत अतिथिगृह के ऊपरी हिस्से का कब्जा ले लिया गया। जिसका व्यवसायिक प्रयोग किया जाएगा। साथ ही निचे का हिस्से का कब्जा लेने के लिए कोर्ट में भी मजबूती से पैरवी की जाएगी। सीईओ जाकिर हुसैन ने बताया कि अतिथिगृह केस की मजबूती से पैरवी की जाएगी।