धर्म स्वतंत्रता कानून के समर्थन में प्रदर्शन

kabir Sharma
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कानून न केवल हिंदू समाज का रक्षक है, बल्कि यह पूरे भारत का रक्षक, कानून जबरन धर्मांतरण के खिलाफ

मेरठ / वाल्मीकि महासभा मेरठ महानगर एवं संतो के नेतृत्व में एक विशाल प्रदर्शन किया, जिसमें सरकार द्वारा लागू किए गए धर्म स्वतंत्रता कानून के समर्थन किया गया। इस सभा में बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों ने भाग लिया और सरकार के इस कदम का समर्थन किया। वाल्मीकि महासभा के मेरठ महानगर के अध्यक्ष राजकुमार वाल्मीकि ने कहा कि धर्म-स्वातंत्र्य कानून सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है और सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार जीने के लिए स्वतंत्र है। यह कानून भारतीय समाज को मजबूत और एकजुट बनाने में मदद करता है।
जब विभिन्न पक्षों ने इस धर्म-स्वातंत्र्य कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है और संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करने का अधिकार है, लेकिन जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाए जा सकते हैं और ये कानून जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है। धर्म-स्वातंत्र्य कानून यह कानून कहते हैं – यदि कोई वास्तव में अपने विवेक से धर्म बदलना चाहता है तो वह प्रशासन को सूचित करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उस पर दबाव या प्रलोभन नहीं डाला गया। यानी ये कानून स्वतंत्रता को रोकते नहीं, बल्कि स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं अब सवाल उठता है कि इन कानूनों को क्यों चुनौती दी जा रही है? हाल के वर्षों में अलग-अलग राज्यों में बने इन कानूनों के खिलाफ समान प्रकार की याचिकाएँ (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें क्लब कर लिया है। यहाँ एक पैटर्न साफ दिखता है यह धर्मांतरण करने वाली शक्तियों के षड्यंत्र है
• एक ही जैसी दलीलें,
• एक ही जैसे याचिकाकर्ता,
• और एक ही जैसा मकसद

हिंदू समाज की रक्षा के लिए बने कानूनों को निरस्त करना। हर राज्य की जनसांख्यिकी, उनका सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश अलग अलग है। उनकी चुनौतियां भी अलग हैं। हर राज्य की अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अलग अलग कानून बने हैं। कई राज्यों के कानूनों को अलग अलग आधार पर चुनौती दी गई है। इन सब विषयों पर एक साथ कैसे चर्चा हो सकती है।कुछ राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थ के कारण धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम नहीं लाना चाहते। उनके द्वारा शासित राज्यों की संख्या कम नहीं है। उनके विचार भी आमंत्रित किए गए हैं जबकि वे पक्षकार नहीं बनाए जा सकते लेकिन उनके विचार निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं दूसरी हिंदू विरोधी इको सिस्टम द्वारा धर्मांतरण के अधिकार की वकालत भी शुरू हो गई। क्या यह मात्र संयोग है? नहीं। यह सुनियोजित षड्यंत्र प्रतीत होता है। यदि धर्म-स्वातंत्र्य कानून हटा दिए गए, तो निर्धन समाज को लालच का शिकार बनाने के षड्यंत्र बढ़ेंगे। गाँव-गाँव में छल से धर्मांतरण की आग फैलेगी। आने वाली पीढ़ियों का सांस्कृतिक अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।
कार्यक्रम में महामंडलेश्वर श्री श्री 108 महेंद्रदास जी महाराज, राजकुमार डूंगर, अमित जिंदल, राहुल गोयल, पवन, निमेश वशिष्ठ, रंजना वर्मा, पायल कुछल, अमित प्रजापति, बंटी बजरंगी, विशाल धानक, कृष्ण कश्यप, बालकृष्ण कांडपाल, किरन सिंह धामा, हिमांशु शर्मा आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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