फूड सेफ्टी अफसरों की कार्रवाई पर सवाल, सचल लैब की रिपोर्ट पर सवाल, किस की अनुमति से कर रहे नष्ट
मेरठ। मिलावटी खाद्यान के खिलाफ अभियान के नाम पर फूड एंड सेफ्टी महकमे वालों की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। जिस तरह से कार्रवाई की जा रही है उससे लगता है कि अधिकारी टारगेट पूरा करने की जल्दबाजी में हैं। त्यौहारी सीजन में साल में दो बार फूड एंड सेफ्टी विभाग के अफसर मिलावटी खाद्यानों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अभियान चलाते हैं, लेकिन इनकी कार्रवाई की जद में केवल मावा और मिठाई कारोबारी ही आते हैं। खाद्यान की यदि बात करें तो त्यौहारी सीजन में मावा और मिठाई के अलावा घी, तेज, मसाले, आटा व दाल सरीखी तमाम चीजें होते हैं जो लोग इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आमतौर पर मावा व मिठाई की श्रेणी में आने चीजों तक ही फू एंड सेफ्टी विभाग का अभियान सीमित रहता है। नियमानुसार कार्रवाई के दौरान जो खाने में प्रयोग किए जाने वाले जिन चीजों की सेंपलिंग की जाती है उनको जांच के लिए सरकारी लैबों में भेजा जाना चाहिए, लेकिन आमतौर विभाग की जो टीम अभियान का हिस्सा होती है वो ही चख कर यह बता देते हैं कि मिलावटी है या नहीं। खाने की कोई वस्तु किसी एक शख्स को कसैली लग सकती है लेकिन बाकि अन्य को नहीं। आमतौर पर ऐसा होता भी है कि किसी शख्स को खाने के सामान में टेस्ट खराब लगता है और बाकियों को वो ठीक लगता है। इसलिए चख कर किसी चीज को मिलावटी या खराब बता देना कोई पैमाना नहीं, लेकिन अभियान के दौरान ऐसा ही किया जा रहा है। एक दिन पहले तमाम स्थानों पर की गई कार्रवाई में कुंटलों मावा नष्ट कर दिया गया।
आढ़ती के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं
फूड एंड सेफ्टी विभाग के अधिकारी जो अभियान चला रहे हैं उसमें केवल सामान नष्ट किया जा रहा है। जिस आढती के यहां से मिलावटी मावा बरामद होने की बात कही जा रही है उसके खिालाफ कार्रवाई नहीं की जाती। जबकि होना तो यह चाहिए कि जो मिलावटी सामान बेच रहा है उसके खिलाफ 3/7 की धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर उसको जेल भेजा जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसी कोई कार्रवाई की गयी हो, इसी जानकारी खुद अभियान चलाने वालों को भी नहीं।
केवल मावा कारोबारी क्यों
त्योहारी सीजन में मिलावटी सामान बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाने वाले केवल मावा या उससे तैयार होने वाली चीजों का कारोबार करने वालों के खिलाफ ही कार्रवाई करते हैं क्या दूसरी खाने की चीजों में कोई मिलावट नहीं होती। इसके अलावा यह भी कि जाे मावा नष्ट किया गया, उसको नष्ट करने की अनुमति किस अधिकारी से ली गयी। नष्ट करने से पहले क्या सेंपल की जांच की गयी। यदि जांच की गयी तो जांच रिपोर्ट क्यों नहीं सार्वजनिक की जाती। जांच रिपोर्ट संबंधित व्यापारी को क्यों नहीं दी जाती। जिन व्यापारियों का मावा नष्ट किया गया है उन्होंने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि उन्हें कोई जांच रिपोर्ट नहीं दी गयी। इसके अलाव यदि सचल लैब सक्षम है तो फिर अन्य चीजे जिनकी सेंपलिंग की जाती है उनको क्यों दूसरी लैबों में भेजा जाता है।
व्यापारी नेता गायब
छोटी-छोटी बातों को लेकर अधिकारियों का घेराव करने वो व्यापारी नेता मावा कारोबारियों ने दूरी बनाए नजर आते हैं। शहर में दो-दो संयुक्त व्यापार संघ हैं, लेकिन मावा कारोबारियों के खिलाफ साल में दो बार की जाने वो कार्रवाई के खिलाफ एक भी व्यापार संघ तथा दूसरे व्यापारी संगठन बोलने को तैयार नहीं।
प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी
उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष लोकेाश अग्रवाल ने फूउ एंड सेफ्टी विभाग की कार्रवाइयों को त्यौहारी सीजन की नौटंकी करार देते हुए कहा कि इसको तत्काल बंद किया जाए, अन्यथा उनका संगठन प्रदेश व्यापी आंदोलन करेगा। उन्होंने कार्रवाई को लेकर तमाम गंभीर सवा उठाए हैं।