
आबूलेन पर ट्रेफिक का बुरा हाल, सेंट्रल पार्किंग से बढ़ेगी मुसीबत, पैरोकार भाजपाइयों का क्या इंटरेस्ट
भाजपाई और व्यापारी नेता सैंट्रल पार्किंग पर अमादा, ब्रिगेडियर का होल्ड, आबूलेन पर शापिंग फिर बनेगी मुसीबत का सबब
मेरठ/ आबूलेन पर शापिंग एक बार फिर से लोगों के लिए मुसीबत साबित हो सकता है, इसकी वजह भाजपा के कुछ नेता और आबूलेन के व्यापारी सैंट्रल पार्किंग थोपने पर अमादा हैं। इसको लेकर कैंट बोर्ड की बैठक में डा. सतीश शर्मा प्रस्ताव भी लाए हैं, लेकिन फिलहाल ब्रिगेडियर की ओर से होल्ड नजर आता है।
शहर का दिल है आबूलेन
शहर के दिल आबूलेन पहले से जाम की मुसीबत से बेहाल है, इसको एक बार फिर और ज्यादा जाम की मुसीबत में डालने की पठकथा गुरूवार को हुई कैंट बोर्ड की बैठक में पेश की गई। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही आबूलेन पर सेंट्रल पार्किंग लागू कर दी जाएगी। सेंट्रल पार्किंग की व्यवस्था के बाद हो सकता है कि आबूलेन के कुछ बड़ें व्यापारियों की जेब भारी हो जाएगी, लेकिन आम पब्लिक जो आबूलेन पर शॉपिंग के लिए आती है या जो लोग वाया आबूलेन आते जाते हैं उनके लिए भारी मुसीबत का सबब बन जाएगा। हैरानी तो इस बात की है कि कोई और नहीं भाजपा के कुछ बड़े नेता यह सब करने पर उतारू हैं जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता है कि आबूलेन पर पहले से ही जाम जैसे हालात रहते हैं और यदि सेंट्रल पार्किंग कर दी गयी तो हालत बद से बदत्तर हो जाएगी।
क्या पैरोकारों के जुड़े हैं तार
आबूलेन की जिस सेंट्रल र्किंग को लेकर पूर्व में काफी हंगामा हुआ था और बाद में कैंट बोर्ड प्रशासन ने सेंट्रल पार्किंग को खत्म कर दिया था, फिर ऐसा क्या है जो उसको लेकर हाथ-पांव मारे जा रहे हैं। । दरअसल सेंट्रल पार्किंग का जो ठेका छोड़ा जाता है वह आबूलेन व्यापार संघ की ओर से छोड़ा जाता है। तो क्या यह मान लिया जाए कि जो पैरवी कर रहे हैं उनके तार भी सेंट्रल पार्किंग के ठेके से जुड़े हैं। वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि आबूलेन की सेंट्रल पार्किग की एवजी में व्यापार संघ को भीअच्छी खासी रकम मिल जाती है। लेकिन सेंट्रल पार्किंग की वजह से आबूलेन के ट्रेफिक को जो दुर्गती हुई थी वो आज भी लोगों को याद है। सेंट्रल पार्किंग से दिन भर जाम सरीखे हालात बने रहते थे। पार्किंग के स्टाफ और वहां गाड़ियों को पार्क करने वालों के साथ आए दिन मारपीट व हंगामा आए दिन की बात हो गयी थी। उसके चलते ही कैंट बोर्ड प्रशासन ने सेंट्रल पार्किंग की व्यवस्था को खत्म कर दिया था, लेकिन अब इसके लेकर एक बार फिर से कोशिशें शुरू हो गयी हैं।
जो भारी भरकम खचा हुआ उसका क्या
पूर्व में जब सेंट्रल पार्किंग को हटाया गया था तो वहां पर डिवाइडर बना कर सौन्दर्यीकरण किया गया था। डिवाइडरों पर तोपें रखी गयी थीं, हालांकि यह बात अलग है कि तोप अपनी हिफाजत नहीं कर सकीं, उनको कोई चोरी कर ले गया। इसके अलावा भी सौन्यर्दीकरण के नाम पर मोटा खर्चा हुआ था, यह सब जनता के टैक्स का पेसा था। जो लोग सैंट्रल पार्किंग की पैरवी कर रहे हैं उनके पास इस बात का उत्तर है कि पूर्व में जब सैंट्रल पार्किग थी और उसको कैंट बोर्ड प्रशासन ने खत्म किया था तब वो क्यों चुप रहे थे और अब ऐसा क्या है जो वो आस्तीन चढ़ाकर पैरवी पर उतारू हैं।