कब्र की मानिंद नजर आता है कांप्लैक्स

kabir Sharma
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दफन हो गई व्यापारियों की उम्मीदें भी, एक शख्स के झगड़े से कई बर्बाद, समझ नहीं आ रहा कहां जाएं व्यापारी

मेरठ। सेंट्रल मार्केट की वो मनहूस बिल्डिंग जिसकी वजह से कई व्यापारी और अनगिनत परिवार जिनको इस बिल्डिंग के व्यापारियों की वजह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता था उन सभी की उउम्मीदे भी कब्र में तब्दील की गयी इस बिल्डिंग में दफन हो गयीं। व्यापारियों का कहना है कि एक शख्स के झगड़े की वजह से यह बिल्डिंग भी कब्र बन गयी और इसमें कारोबार करने वाले सभी व्यापारी भी बर्बाद हो गए। यदि किशोर वाधवा का आवास विकास परिषद के अफसरों से झगड़ा ना हुआ होता तो शायद आज यह दिन ना देखने को मिलता।

सरकारी मुलाजिम से झगडड़े की चुकाई कीमत

इस अभागी बिल्डिंग में कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि सरकारी मलाजिम यानि आवास विकास परिषद के अफसरों से पहले हुए किशोर वाधवा के झगड़े की कीमत सभी व्यापारियों को चुकानी पड़ी है। जमीदोज किए जाने के बाद यह बिल्डिंग एक कब्र की मानिंद नजर आती हैं जिसमें यहां कारोबार करने वाले व्यापारियों के अरमान और सपने भी दफन हो गए हैं।

नेताओं ने रखा भ्रम में

लुटे पिटे व्यापारियों का गुस्सा अब उन नेताओं पर उतर रहा है जो कहते थे कि हमारे रहते हुए कुछ नहीं होगा। सरकार हमारी है। हमने बात कर ली है। फला मंत्री से बात हो गयी है। अमुक सचिव से बात हो गयी है। ऐसा दाव करने वाले नेताओं के अलावा सेंट्रल मार्केट के उन व्यापारी नेताओं को लेकर भी नाराजगी है जो कहते थे कि फलां नेता के रहते हुए कुछ नहीं होगा। लेकिन जब इस बिल्डिंग को कब्र में तब्दील किया जा रहा था उस वक्त कोई आंसू तक पोछने नहीं आया। बर्बाद हुए व्यापारियों को सबसे ज्यादा मलाल ही इस बात का है कि नेताओं और उनके पिछलग्गुओं ने उन्हें भ्रम में रखा कि कुछ नहीं होाग। जितना वक्त नेताओं के पीछे खराब किया इतना वक्त यदि किसी काबिल वकील के पीछे खराब किया होता तो शायद रिजल्ट कुछ और ही होता। गम और गुस्से से लवरेज व्यापारियों का यहां तक कहना है कि वक्त आने पर इसका भी हिसाब होगा।

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