दूध दोहने के बाद छोड़ देते हैं डेयरी वाले, आए दिन होते हैं हादसे कई चोटिल, काली पलटन मंदिर क्षेत्र में बुरा हाल
मेरठ। महानगर कैंट क्षेत्र में छुट्टा गोवंश की समस्या ने अब विकराल रूप धारण कर लिया है। व्यस्त सड़कों पर घूमते सांड, गायें और बछड़े न केवल पैदल यात्रियों और वाहन चालकों के लिए खतरा बन चुके हैं, बल्कि हालिया सड़क हादसों में इनकी भूमिका भी सामने आ रही है। लेकिन अफसर इस मुद्दे पर खामोश हैं, जिससे आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कैंट क्षेत्र की गलियों में छुट्टा गोवंश को लेकर इतनी ज्यादा हालत खराब है कि अब डर माहौल में व्याप्त है। सदर कालीमाई मंदिर के समीप रहने वाले रवि शर्मा (नाम परिवर्तित) बताते हैं, दिन भर सड़क पर सांड घूमते हैं। बच्चे खेलते हैं, तो डर लगता है। एक बार मेरी बाइक को सांड ने ठोका, चोट तो नहीं लगी लेकिन डर गया। सदर झंड़ा चौंक के व्यापारी ने बताया कि उनकी पत्नी भोजन देने आ रही थीं, सड़क के बीच गाय ने अचानक उठकर कमर में सींग मार दिए। छह माह से वो चारपाई पर पड़ी हैं। सबसे बुरा हाल औघड़नाथ कालीपलटन मंदिर क्षेत्र का है। वहां तो इन पशुओं की हालात गैंग सरीखी है। उधर से जितनी भी गाड़ियां पास होती हैं इन पशुओं को सभी से खाना चाहिए। कई बार तो दो पहिया वाहनों के पीछे ये पशु खाने के लिए दौड़ लगाते हैं। पूरे कैंट में जहां-जहां इन आवारा पशुओं की मुसीबत हैं वहां ये भारी गंदगी फैलाते हैं। रात के वक्त इन छुट्टा पशुओं को सड़कों पर कब्जा होता है।
समस्या का मूल कारण
कैंट में छुट्टा पशुओं की समस्या का मूल कारण चारे का महंगा होना, नगर निगम की परतापुर गोशाला में क्षमता से अधिक पशुओं होना और गोवंश को लेकर नया कानून। हो यह रहा है कि डेयरी संचालक दूध दोहने के बाद पशुओं को खुला छोड़ देते हैं। भोजन के लिए ये पशु इधर उधर भटकते हैं। इसके अलावा कैंट प्रशासन छुट्टा पशुओं को पकड़ कर परतापुर निगम की गौशाला में भिजवाता है, लेकिन बताया गया है कि वहां अब क्षमता से अधिक पशु हैं। साथ ही डेयरी संचालकों का कहना है कि जो पशु पहले दूध देना बंद कर देते थे उनको बेच दिया जाता था, लेकिन नया कानून आने के बाद अब कोई भी ऐसे पशु नहीं खरीद रहा है। इसलिए ऐसे पशु छोड़ना मजबूरी है, क्योंकि चारा बहुत महंगा है।