केंद्रीय विद्युत मंत्री व महाराष्ट्र के सीएम ने बनायी दूरीए इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने किया था विरोध, निजीकरण के प्रयासों को लगा है झटका
नई दिल्ली/मुंबई। मुंबई में बुलायी गयी डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट बैठक पूरी तरह से फ्लाप रही। माना जा रहा है कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स द्वारा केंद्रीय विद्युत मंत्री को भेजे गए विरोध पत्र और विरोध प्रदर्शन की नोटिस का प्रभाव यह रहा कि बिजली कर्मियों के गुस्से को देखते हुए डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 में केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री यशोपद नायक और यहां तक कि मेजबान प्रदेश महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी नहीं आए।
निजीकरण के पीपीपी माॅडल पर मतभेद
निजीकरण के पीपीपी मॉडल पर गम्भीर मतभेद के चलते महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण निगम महावितरण के सी एम डी लोकेश चन्द्र आई ए एस जो आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के अध्यक्ष भी है, ने भी इस मीट से दूरी बनाई और मुम्बई डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 में नहीं आए। महाराष्ट्र की प्रमुख सचिव ऊर्जा श्रीमती आभा शुक्ला भी मीट में नहीं आई। यह चर्चा रही कि निजीकरण के मुद्दे पर ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश चंद्र आई ए एस और महामंत्री यूपीपीसीएल के अध्यक्ष डॉक्टर आशीष गोयल आई ए एस के बीच मतभेद उभर कर सामने आ गए हैं जिसका परिणाम यह रहा कि बहु चर्चित मुम्बई डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 पूरी तरह फ्लॉप रही।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने यहां बताया कि सुधार के नाम पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर देशभर के विद्युत वितरण निगमों से मुहर लगवाने की मंशा से मुम्बई में आयोजित की गई, डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 पूरी तरह फ्लॉप रही है। मीट में मुख्य एजेंडा विद्युत वितरण निगमों में पीपीपी मॉडल लागू करना था जिस पर बात ही नहीं हुई।
संघर्ष समिति ने बताया की नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की ओर से केंद्रीय विद्युत मंत्री को एक माह पूर्व ही सूचित कर दिया गया था कि यदि निजीकरण के एजेंडा पर डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट की जा रही है तो बिजली कर्मी इसे स्वीकार नहीं करते। बिजली कर्मियों से पहले चर्चा की जाए और यदि केन्द्रीय विद्युत मंत्री नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी के पदाधिकारियों से मीट के पहले वार्ता नहीं करते और मीटिंग से निजीकरण का एजेंडा नहीं हटाया जाता तो बिजली कर्मी विद्युत मंत्री के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों के विरोध का परिणाम यह रहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्री, केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव ऊर्जा और महाराष्ट्र विद्युत वितरण निगम के सी एम डी, इनमें से कोई भी डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट में नहीं आया।
संघर्ष समिति ने बताया कि मुंबई डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 की सबसे चौंकाने वाली बात कह रही कि महाराष्ट्र के महावितरण के सी एम डी श्री लोकेश चंद्र आईएएस जो इस मीट के मेजबान भी थे और आयोजक भी वे मीट में नहीं आए। संघर्ष समिति ने कहा की महाराष्ट्र के विद्युत वितरण निगम के बड़े अधिकारियों ने बताया कि निजीकरण को लेकर ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के अध्यक्ष श्री लोकेश चंद्र और महामंत्री श्री आशीष गोयल जो उप्र पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन है के बीच में गहरे मतभेद हो गए हैं। इसी के चलते मुंबई डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 पूरी तरफ फ्लॉप हो गई। उसमें केंद्रीय मंत्री से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री तक आए और न ही अधिकांश प्रांतों के चेयरमैन और एम डी आए।
संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने एक साल पहले निजीकरण का निर्णय घोषित कर बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ा दिया है। लगातार आंदोलन चल रहा है और कार्य का वातावरण पूरी तरह बिगड़ चुका है। समय की आवश्यकता यह है की पावर कारपोरेशन के प्रबंधन को निजीकरण का निर्णय निरस्त कर वास्तविक सुधार कार्यक्रम पर बिजली कर्मियों से वार्ता करनी चाहिए। बिजली कर्मी सुधार हेतु लगातार प्रयत्नशील है और उसके अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं।