टीपीनगर में जलाए जा रहे टायर बता रहे हैं कि यहां सिस्टम प्रदूषण से हैं बेपरवाह, ना एनजीटी का खौफ ना सुप्रीमकोर्ट के चाबुक का डर, मार्निग वॉक पर भारी कूडा दहन
मेरठ/ जहरीली हवा भले ही सांसों पर भारी हो, लेकिन लगता है कि टीपीनगर मेंं खुलेआम टायरों का दहन करने वालों को शायद इससे कोई सरोकार नहीं है। टीपीनगर इलाके में शनिवार को एक व्यापारी ने सड़क किनारे पर रखकर पुराने टायरों में आग लगा दी। दरअसल ऐसा इसलिए किया गया ताकि टायरों की कन्नियों में लोहे की तार को निकाल कर उसको बेचा जा सके। थोड़े से पैसों के लिए इस प्रकार का कृत्य सहन नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन यह किया गया।
एनजीटी और सुप्रीमकोर्ट सख्त
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर एनजीटी और सुप्रीमकोर्ट के स्तर से बरती जा रही सख्ती को लेकर मेरठी अफसर कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा टीपीनगर में खुलेआम जलाए जा रहे टायरों और उससे निकल रहे जहरीले धुंए से लगाया जा सकता है। टीपीनगर में टायरों का दहन प्रदूषण को लेकर मेरठ अफसरों की चिंता की वानगी भर है। इसके इतर भी महानगर में सुबह के वक्त जब सफाई कर्मचारी काम पर निकलते हैं तो बजाए कूडा कचरे को उठाकर निस्तारण करने के अनेक ऐसे स्थान हैं जहां यह कचरा जला दिया जाता है। सुबह के वक्त पूरे शहर में कूडा जलता हुआ देखा जा सकता है। जबकि होना यह चाहिए कि सांसों पर भारी जहरीली हवा को साफ सुथरा बनाने के लिए संबंधित विभाग के अफसरों को ऐसा करने वाले कर्मचारियों को ताकीद करना चाहिए।
मार्निग वॉक पर भारी कूडा दहन
प्राण वायु मानी जाने वाली ताजी सांसों के लिए सुबह के वक्त तमाम लोग मार्निग वॉक पर निकलते हैं, लेकिन महानगर में सुबह के वक्त किया जाने वाला कूडा कचरा दहन वायु मंडल को सिर्फ जहरीला बनाने का ही काम कर रहा है। प्राण वायु के लिए जो लोग मार्निंग वॉक निकलते हैं उन्हें प्राण वायु तो मिले या ना मिले, लेकिन जहरीली हवा से सांसों को बचाने के लिए नाक पर रूमाल जरूर रख लेते हैं।