चौकीदारों ने ही बेच डाले मेरठ कालेज का प्ले ग्राउंड

kabir Sharma
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पचास करोड़ से ज्यादा की संपत्ति, दो बार सेना हटवा चुकी है अवैध कब्जे, बुचरी रोड स्थित बंगले 68 व 69 अब्दुल करीम ने दिए थे प्ले ग्राउंड के लिए दान

मेरठ/ मेरठ कालेज के पचास करोड़ से ज्यादा कीमत के प्ले ग्राउंड के एक बडे हिस्से को चौकीदारों ने ही बेच डाला। बूचरी रोड स्थित कैंट की बी-3 लैंड स्थित बंगला नंबर 68 व 69 लालकुर्ती वाले अब्दुल करीम परिवार ने मेरठ कालेज को प्ले ग्राउंड बनाने के लिए दान में दी थी। इन दोनों बंगलों का मेनेजमेंट डीईओ के आधीन आता है और स्वामित्व मेरठ कालेज की प्रबंध समिति का है।

बड़े हिस्से पर कब्जे और अवैध निर्माण

डीईओ के मैनेजमेंट वाले बंगला 68 व 69 के बडेÞ हिस्से पर अवैध कब्जे हो गए हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि ये जगह सेना की है, लेकिन जीएलआर में इन दोनों बंगलों की लिखा पढ़ी बतौर मेरठ कालेज के प्ले ग्राउंड के तौर पर है। जिन दोनों बंगलों को मेरठ कालेज का प्ले ग्राउंड बताया जाता है इन बंगलों के बाउंड्री रोड से सटे हिस्से पर बडेÞ स्तर पर कब्जे और अवैध निर्माण कर लिए गए हैं। बीते तीन सालों के दौरान यहां बडेÞ स्तर पर अवैध निर्माण हुए। यहां यह जगह मौजूद है, वहां से डीईओ आॅफिस भी ज्यादा दूरी पर नहीं है, लेकिन उसके बाद भी यहां के अवैध कब्जे और अवैध निर्माण डीईओ आॅफिस को नजर नहीं आते हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि यदि ऐसी ही लापरवाही बनी रही तो इस मैदान पर भी रजबन के फुटबाल मैदान की तर्ज पर अवैध लेकिन कंकरीट की पक्की इमारत तामीर हो जाएंगी। नाम ना छापे जाने की शर्त पर बूचरी रोड के समीप रहने वाले एक अन्य शख्स से बताया कि इस प्ले ग्राउंड की जमीन लगातार घटती जा रही है और अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं, डीईओ आॅफिस को इतनी फुर्सत नहीं कि अपने मैनेजमेंट वाले इन बंगलों की सुध ले ले।

सेना दो बार कर चुकी है कार्रवाई

बूचरी रोड बंगला 68 व 69 पर किए गए कब्जों व अवैध निर्माणों के खिलाफ सेना दो बार कार्रवाई कर चुकी है। साल 2003 में तत्कालीन डीईओ धनपत राम ने सेना की मदद से यहां से एक-एक अवैध कब्जा व निर्माण हटवा दिया था। सेना ने पूरे दिन तब कार्रवाई कर मैदान खाली कराने के बाद तारबंदी कर दी थी। बतौर डीईओ जब तक धनपत राम रहे तब तक इस मैदान पर किसी ने झांकने की हिम्मत नहीं की, लेकिन उनके तवादल के बाद धीरे-धीरे से फिर इस पर अवैध कब्जे होने लगे। पहले झोंपड़ियां डाली गयीं और फिर पक्के निर्माण हो गए।
1975 में विक्टोरिया पार्क शिफ्ट हुआ था प्ले ग्राउंड
जानकारों की मानें तो साल 1975 से पहले मेरठ कालेज का प्ले ग्राउंड यही मैदान हुआ करता था। यहीं पर कालेज के छात्र खेला करते थे। लेकिन बाद में साल 1975 में यहां से प्ले ग्राउंड विक्टोरिया पार्क शिफ्ट हो गया जो वर्तमान में भी मौजूद है।

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