अब नहीं दी जाती कैंट की मिसाल

kabir Sharma
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गंदगी से बज बजाती नालियां, जगह-जगह कूडों के ढेÞर, डेमेज रोड, बुझी हुर्इं स्ट्रीट इलाटें बनी हैं पहचान

मेरठ। साफ सुथरी सड़कों और सफाई आदि के इंतजाम को लेकर पहले जिस कैंट इलाके की मिसाल दी जाती थी, अब उसकी मिसाल नहीं दी जाती। गंदगी से अटी नालियां, जगह-जगह कूड़े कचरे के ढ़ेर, आबादी के बीच चल रही डवालघर, डेमेज सड़कें और बूझी हुर्इं स्ट्रीट लाइटें कैंट की पहचान बन गयी हैं। अब शहर से भी बुरा हाल कैंट इलाके का है। पिछले दिनों सदर के रविन्द्रपुरी इलाके में दूषित पानी पीने से पचास लोगों के बीमार होने की घटना कैंट प्रशासन की व्यवस्थाओं की वानगी भर है। कैंट के बाशिंदों को किस प्रकार की व्यवस्था दी जा रही है, उसका एक छोटा सा उदाहरण है। जब पानी जैसी बेहद जरूरी चीज को लेकर यह हाल है तो बाकि सेवाओं का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

अटी पड़ी हैं नालियां-डेमेज सड़क

रविन्द्रपुरी में जो कुछ हुआ उसने कैंट के सफाई इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है। सफाई व्यवस्था कैसी है इसकाअंदाजा गंदगी से भरी नालियों में डूबे घरों में जा रहे पानी की पाइप लाइनों को देखकर लगाया जा सकता है। जब नाली की गंदगी इन पाइपों से होकर घरों तक पहुंचेगी तो लोग तो बीमार होंगे ही। केवल नालियां ही नहीं अटी पड़Þी हैं बल्कि आबादी के बीच पुराने खत्ते आज भी संचालित होे रहे हैं। उन खत्तों को आबादी के बीच से शिफ्ट करने का कोई प्लान फिलहाल कैंट अफसरों के पास नहीं है। और रही सही कसर डोर टू डोर ठेकेदार के संविदा कर्मचारी पूरा कर रहे हैं जो सुबह को 9 बजे काम शुरू करते हैं, इस वक्त सदर, दाल मंड़ी, गंज बाजार, सब्जी मंड़ी, कबाड़ी बाजार, लालकुर्ती सरीखे बाजारों में दुकानें खुलने का समय हो जाता है। उनके काम शुरू करने से पहले कचरा रोड़ पर ही बिखरा रहता है। छुट्टा पशु, कुत्ते व सुअर आदि इस कचरे से दूर तक सड़क पर फैला देते हैं। जब इस कसर गंदगी है तो फिर कैंट की मिसाल कौन देगा
डेमेज सड़कों से गुजरना भी दुश्वार
जो लोग कैंट की मिसाल दिया करते थे वो कैंट की सड़कों की वजह से दिया करते थे, लेकिन अब कैंट की सड़कों में वो बात कहां। जनवाणी लगातार कैंट की सड़कों की दशा पर फोक्स कर रहा है। दरअसल कैंट इलाके की जिन सड़कों का रखरखाव जीई साउथ करते हैं वो परसाहाल नहीं। बीसी लाइन, बीआई लाइन, बूचरी रोड, ग्रास फार्म फाजलपुर का सिटी स्टेशन से सटा हिस्सा समेत इनके अलावा भी ऐसे तमाम इलाके हैं जहां की सड़कें देखकर कैंट में ना होने का गुमा होता है।
अरसे से बंद पडे हैं फुव्वारे
कैंट की खूबसूरती ही उसकी पहचान हुआा करती थी। आबूलेन स्थित फुव्वारा उसकी शान होता था अब अब टॉयलेट बन गया है, इसी तरह से लालकुर्ती, माल रोड के दो-दो फुव्वारें बंद हैं। जितनी भी चीजें कभी कैंट की सुंदरता की पहचान हुआ करती थीं वो अब सुप्तावस्था में हैं।

सेना ने खींच लिया हाथ

कैंट बोर्ड की सेवाओं की एवज में सेना की ओर से हर साल एक भारी भरकम फंड मिला करता था, सेना ने उस फंड से अब हाथ खींच लिया है, वो फंड अब सेना से मिलना बंद हो गया है। सेना से मिलने वाली इस बड़ी रकम से ही कैंट के अफसर इलाके में वो तमाम कम कराया करते थे जिनकी वजह से लोग कैंट की मिसाल दिया करते थे। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक अफसर ने बताया सरकार के स्तर से तमाम कटौतियों के चलते यह स्थिति उबरी है। कैंट प्रशासन के पास अपनी आमदनी का कोई ठोस जरिया ना होने के चलते यह दुर्दशा हो रही है।

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