नेशनल मीडिया की सबसे निचले स्तर की पत्रकारिता, CBI की हुई थी बुरी फजीहत, हाईकोर्ट ने तलवार दंपत्ति को नहीं माना हत्यारा
नई दिल्ली। अरुषी को किसने माना यह सवाल आज भी जिंदा है। बेटी की हत्या में दोषी ठहराए गए उसके माता पिता को हाईकोर्ट पहले ही बरी कर चुका है। 14 साल की आरूषि तलवार और उनके घरेलू नौकर हेमराज की डबल मर्डर केस ने आज भी न्याय की तलाश में सवालों का पुलिंदा बना रखा है। 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार में हुई इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। माता-पिता डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नूपुर तलवार को 2013 में दोषी ठहराया गया, लेकिन 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
CBI की अपील कोर्ट में लंबित
CBI की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, और 2025 में भी कोई नया ट्विस्ट नहीं आया। 1 6 मई 2008, रात को आरूषि तलवार का शव उनके बेडरूम में मिला। गला रेत दिया गया था, सिर पर गंभीर चोटें। अगले दिन हेमराज का शव घर की छत पर आंशिक सड़ा हुआ मिला। दोनों की हत्या एक ही हथियार से की गई लगती है। पुलिस ने “ऑनर किलिंग” का थ्योरी बनाया—आरूषि के कथित बॉयफ्रेंड या अफेयर। CBI ने तलवार दंपति पर आरोप लगाया कि उन्होंने बेटी को मार डाला क्योंकि उन्हें उसके अफेयर का शक था। सुप्रीम कोर्ट में CBI की अपील (2018 से लंबित) पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 में तलवार दंपति को बरी करते हुए CBI की थ्योरी को “असंभव और बेतुकी” बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि सबूत अपर्याप्त हैं, और ट्रायल कोर्ट का फैसला “विषाक्त तर्क” पर आधारित था। बरी होने के बाद वे नोएडा में डेंटल क्लिनिक चला रहे हैं। 2017 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कहा, “समाज में वापसी डरावनी है।” वे अभी भी न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन केस बंद होने की कोई उम्मीद नहीं।