पीवीवीएनएल में अफसरों को गाड़ियों के टेंडर में भारी घपला, एमडी ने दिए जांच के आदेश, फंसने पर जांच अफसर पर ही लगा डाले आरोप
लखनऊ/मेरठ। पीवीवीएनएल के एक्सीयन व एसडीओ सरीखे अफसराें के लिए गाड़ियों के ठेके में निविदा की शर्त में ड्राइविंग के अनुभव के बजाए कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर अनुभव प्रमाण पत्र लेकर ठेका झटक लिया। गाड़ियाें का ठेका देने में इस मामले की जाकनारी होने पर एमडी ने जांच के आदेश कर दिए। जांच डायरेक्टर फाइनेंस को सौंपी गयी और जब जांच शुरू हुई तो ठेके का काम देखने वाले बाबू की कारगुजारियों की तिजोरी खुलती चली गईं। केवल एमडी ही नहीं शासन स्तर से भी इन कारगुजारियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। मामले में एक बड़े इंजीनियर के लिप्त होने के भी प्रमाण मिले हैं। माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर इस बड़े इंजीनियर पर भी यूपीपीसीएल चेयरमैन और सूबे के ऊर्जा मंत्री का शिकंजा कस सकता है।
यह है मामला
पीवीवीएनएल के एक्सीयन और एसडीओ के लिए फिल्ड वर्क के लिए गाड़ियां रखी जाती हैं। ये सभी गाड़ियां ठेके पर ली जाती हैं। इसके लिए बाकायदा निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं। ऐसी ही एक निविदा विद्युत वितरण मंडल-1 आमंत्रित की गईं। आमंत्रित ई निविदा संख्या 96/2024-25 जोकि मेरठ क्षेत्र द्वितीय के अंतर्गत मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता व उपखण्ड अधिकारी के विभागीय प्रयोग के लिए वाहन उपलब्ध कराने के संबंध में है। इस मामले में जो सबसे बड़ा और चौकाने वाला खुलासा हुआ है वो यह कि सदस्य वित्त की अनुमति के बगैर ही टैंडर को पास कर दिया गया।
ड्राइविंग का नहीं कंप्यूटर ऑपरेटर का अनुभव
निविदा की शर्तों में एक आवश्यक शर्त ड्राइविंग का अनुभव प्रमाण पत्र है, लेकिन शिकायत में बताया गया है कि मैंसर्स गणेश कंट्रेक्टर ने बजाए ड्राइविंग अनुभव का प्रमाण पत्र लगाने के कंप्यूटर ऑपरेटिंग के अनुभव का प्रमाण पत्र लगाया। इस अनियमितता के बाद भी बजाए निविदा आवेदन निरस्त करने के उसको क्वालिफाइ कर दिया गया। जब कंप्यूटर आपरेटर से गाड़ी चलवायी जाएगी तो ऐसा चालक अफसर के लिए खतरा ही साबित होगा। लेकिन इसके बाद भी क्वालिफाई कर दिया गया। एमडी ने इस मामले में डायरेक्टर फाइनेंस को आरोपी निविदा लिपिक सिद्वार्थ के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा उक्त निविदा में द्वितीय न्यूनतम निविदादाता फर्म मैसर्स भारद्वाज एंटरप्राइजेज द्वारा एचटी/एलटी निर्माण से संबंधित अनुभव प्रमाण पत्र लगाए गए हैं। जिसके आधार पर उक्त फर्म को द्वितीय भाग हेतु क्वालिफाई कर दरें खोली गयी हैं।
बताया गया है कि उक्त निविदा के तहत मै. गणेश कॉन्ट्रेक्टर द्वारा अपलोड किए गए कंप्यूटर ऑपरेटर मैन पावर सप्लाई के अनुभव प्रमाण पत्र को स्वीकार किया गया। जिससे साफ है कि न्यूनतम निविदादाता फर्म ईपीएफ/ईएसआई समय पर जमा कराया जाना अनिवार्य है, मामले की शिकायत करने वाली भूमि एंटरप्राइजेज ने इस पूरे घपले घोटाले को लेकर एमडी पीवीवीएनएल को लिख पत्र में खुलासा किया है कि जबकि उक्त फर्म द्वारा अपने अनुबंधित कर्मचारियों को ईपीएफ/ईएसआई जमा ही नहीं किया जा रहा है। एमडी के संज्ञान में यह भी आय है कि पीवीवीएनएल के तमाम अधिकारियों जिनके लिए गाड़ियों की निविदा आमंत्रित की गईं, उनमें अधिकारियों को मुहैय्या करायी जाने वाली गाड़ियों की दरों में भी काफी अंतर है।
यह कहना है जांच अधिकारी का
इस मामले में जांच अधिकारी डायरेक्टर फाइनेंस स्वतंत्र तोमर ने बताया कि एमडी के आदेश पर जांच की गई। जांच में तमाम खामियां पायी गयीं।जांच रिपोर्ट एमडी ऑफिस को भेजी जा चुकी है। आरोपी लिपिक सिद्धार्थ ने टेंडर देने में गंभीर अनियमितताएं निजी लाभ पाने के लिए बरतीं, जो गंभीर वित्तयी अपराध की श्रेणी में आता है।