मामूली सी बात को बन जाती है बड़ा विवाद, कई बार गलतफैमियों से होता है क्लेश, संयम बरत कर टाला जा सकती है बर्बादी
नई दिल्ली। बसा बसाया और हंसते खेलते घर को परिवार के किसी भी एक सदस्य का क्लले उजाड़ देता है। आमतौर पर क्लेश की वजह पति पत्नी के बीच गलतफैमी होती है जो एक अच्छे सुखी परिवार की खुशियों में आग लगा देती है। और जब तक क्लेश और गुस्से की आग ठंड़ी होती है तब तक सब कुछ उजड़ चुका होता है, तब पछताने के अलावा इंसान के पास कुछ भी नहीं बचता है।
जिम्मेदारी समझे संयम बरतें
एक सामान्य भारतीय परिवार की शाम। बच्चे हंसते-खेलते घर में दौड़ रहे हैं, माँ रसोई में स्वादिष्ट पकवान बना रही है, पिता अखबार पढ़ते हुए मुस्कुरा रहा है। अचानक एक छोटा सा विवाद – “तुमने बर्तन क्यों नहीं धोए?” – और बस, क्लेश की चिंगारी ने पूरे घर को अपनी आगोश में ले लिया। हंसी की जगह चीखें, खेल की जगह ताने, और खुशियों की जगह धुआँ। यही है क्लेश का असली चेहरा – जो हंसते-खेलते घर की खुशियों में आग लगा देता है। इसीलिए जरूरी है कि जिम्मेदारियों को समझें और हो सकते तो संयम बरतें। हालात तब खराब होते हैं जब सामने वाला गुस्सा कर रहा है तो दूसरा भी बजाए संयम के गुस्से कर गुस्से की आग में घी डालने का काम करता है।
क्लेश: घर का छिपा हुआ दुश्मन
मनोवैज्ञानियों का कहना है कि भारत में हर 10 में से 7 परिवार किसी न किसी रूप में दैनिक क्लेश का शिकार होते हैं। छोटी-छोटी बातें जैसे टीवी का रिमोट, बच्चों की पढ़ाई, या रिश्तेदारों की दखलंदाजी – ये सब क्लेश की जड़ बन जाती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, क्लेश के कारण तलाक की दर पिछले 5 सालों में 40% बढ़ी है। लेकिन सबसे दुखद यह कि यह आग बच्चों पर भी पड़ती है – उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है, मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है।
डॉ. विपिन तिवारी परिवार परामर्शदाता: “क्लेश एक वायरस की तरह फैलता है। शुरू में छोटा लगता है, लेकिन अनदेखा करने पर पूरे घर को नष्ट कर देता है।”
एक सच्ची कहानी: दिल्ली का ‘शर्मा परिवार’
दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले शर्मा परिवार की कहानी सबक देती है। पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा। शाम को थककर घर आते, और छोटी बात पर बहस शुरू। बच्चे डरकर कमरे में छिप जाते। एक दिन क्लेश इतना बढ़ा कि पड़ोसी पुलिस बुलाने वाले थे। लेकिन जब तक घर के बड़े समझदारी दिखाते तब तक सब कुछ उजड़ चुका था, शर्मा जी ने आत्महत्या कर ली। श्रीमती शर्मा अब उस घड़ी को कोसती हैं जब उन्होंने किसी गलतफैमी को लेकर शर्मा जी को कुछ उलटा सीधा कह दिया था।
समाधान: आग बुझाने के 5 आसान उपाय
- संवाद की आदत डालें – गुस्से में न बोलें, शांत होकर सुनें।
- माफ़ी का पुल बनाएं – छोटी गलतियों पर माफ़ करें।
- परिवार का समय निर्धारित करें – रात का खाना साथ खाएं, बिना फोन।
- बच्चों को शामिल करें – उन्हें क्लेश का कारण न बनाएं।
- जरूरत पड़े तो मदद लें – परिवार परामर्श केंद्र मुफ्त सेवाएं देते हैं।
अंत में: क्लेश को मिट्टी दो, खुशियाँ उगाओ
क्लेश कोई बाहर का शत्रु नहीं, बल्कि हमारे अंदर की नकारात्मकता है। इसे हंसते-खेलते न पनपने दो। याद रखें – घर वो जगह है जहाँ दिल को सुकून मिले, न कि आग की लपटें।