गहरा रोष एवं दु:ख व्यक्त किया, शिक्षा के बढ़ते व्यापार और कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही, शिक्षा के बढ़ते व्यापार और कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही
नई दिल्ली/गाजियाबाद। होनहार युवा के आत्मदाह पर जीपीए की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा कसूरवारों को जल्द से जल्द सजा मिले तो जान देने वाले की आत्मा को शांति मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षा के व्यापारिकरण की आग मे झुलसे छात्र उज्ज्वल राणा की मौत के दोषियों को मिले सख्त सजा जल्द मिलनी चाहिए। उन्होंने सीएम योगी से मांग की कि डीएवी कॉलेज प्रबंधन पर सख्त कार्यवाई सुनिश्चित करें।
शिक्षा के मुद्दे उठाती हैं प्रमुखता से
शिक्षा के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाली इंडियन पेरेंट्स एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा त्यागी ने मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना स्थिति डीएवी कॉलेज मे छात्र उज्ज्वल राणा द्वारा फीस को लेकर आत्मदाह करने को लेकर गहरा रोष एवं दु:ख व्यक्त किया है एक युवा छात्र जो अपने परिवार के सपने को पूरा करने के लिए डीएवी कॉलेज मे शिक्षा ग्रहण कर रहा था शिक्षा के बढ़ते व्यापार और कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही की वजह से उसे शिक्षा के बढ़ते व्यापार और कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही, इस युवा छात्र की मौत हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर क्यों सरकार शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण पर चुप्पी साधे रहती है आखिर क्यों जिन शिक्षा के मंदिरों से राष्ट्र निर्माण की अलख जगती है आज उन्हीं शिक्षा के मंदिरों में मानवता लगभग समाप्त होती जा रही है मीडिया से प्राप्त खबरों के अनुसार छात्र उज्ज्वल राणा द्वारा बकाया 7000 रुपए की फीस भरने के लिए कॉलेज प्रबंधन से कुछ दिन की मोहलत मांगी थी लेकिन कालेज प्राचार्य ने उसे मोहलत देने की बजाय उसे पूरे कॉलेज के सामने अपमानित और प्रताड़ित किया इसी अपमान और प्रताड़ित करने से आहत होकर इस युवा छात्र ने कालेज परिसर में हीं अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली और हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया । समझने वाली बात ये है कि जिस शिक्षा को हमारे देश में हमेशा से समाज सेवा समझा जाता है जिस भारत का संविधान देश के प्रत्येक बच्चे को समान शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है आज उसी शिक्षा व्यवस्था के बढ़ते बाजारीकरण और इस व्यापारिकरण को रोकने में चुप्पी साधे सरकार की विवशता ने एक युवा छात्र को मौत के मुंह में समाने को विवश कर दिया । इस युवा छात्र की मौत ने पूरे देश को झंझोर कर रख दिया है अब समय आ गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा के व्यापारिकरण और निजी स्कूल एवं कॉलेज की मनमानियों को रोकने के लिए मिलकर आवाज उठानी होगी अगर हम अब भी नहीं जागे तो ना जाने कितने उज्जव राणा जैसे युवा छात्र इस खराब शिक्षा व्यवस्था की भेट चढ़ जाएंगे ।